इंकलाब ज़िंदाबाद !
progressive Articles ,Poems & Socio-political -economical Critque !
गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016
ये कैसा 'जेहाद ' लहू बच्चों का पीते ।
मजहब के पाखंड की ,चर्चा है सब ओर।
आतंकी उन्माद का ,चला भयानक जोर।।
चला भयानक जोर , कैसे ये दुर्दिन आये ।
सत्य अहिंसा व्यथित , धरा पर्वत थर्राये ।।
ये कैसा 'जेहाद ' लहू बच्चों का पीते ।
आदमखोर शैतान , भेड़ियों से गये बीते ।।
श्रीराम तिवारी
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