गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

ये कैसा 'जेहाद ' लहू बच्चों का पीते ।



  मजहब के पाखंड  की ,चर्चा है सब ओर।

 आतंकी उन्माद का ,चला  भयानक जोर।। 

  चला  भयानक जोर , कैसे  ये दुर्दिन आये ।

  सत्य अहिंसा व्यथित , धरा पर्वत  थर्राये ।।

  ये कैसा  'जेहाद '  लहू  बच्चों का पीते ।

  आदमखोर शैतान , भेड़ियों से गये बीते  ।। 

       श्रीराम तिवारी
    
 

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