नस्लवादियों का चेहरा ,खूँखार हो रहा है।
महकमा -ए -अदालत , शर्मशार हो रहा है।।
क्रूरकाल ने लिखा था ,कश्मीर का फ़साना।
अफजल गुरु की फांसी ,इंतकाम का बहाना।।
जे एन यु का परिसर ,बदनाम हो रहा है।
फासिज्म की कृपा से ,सब काम हो रहा है।।
देश छोड़ भागे बदमाश ,अफजल गुरु के साले।
दिल्ली पुलिस ने पकडे कुछ ,पढ़ने -लिखने वाले।।
पिटते हो तुम कन्हैया, तुम्हारा नाम हो रहा है।
लेकिन वाम पंथ फ़ोकट, बदनाम हो रहा है।।
श्रीराम तिवारी
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