बुधवार, 10 फ़रवरी 2016

आम्र मञ्जरी खिली , रंग फागुन का छाया !



  पतझड़ की आहट सुनी ,कोयल कूँकी  भोर ।

  लता कुँज वन -बाग़ में , मादकता  चहुँ ओर।।

  मादकता  चहुँ ओर ,विकट मनसिज की माया।

  आम्र मञ्जरी खिली , रंग  फागुन का छाया ।।

  मलय पवन मदमस्त  ,राग  वासंती  गाया  ।

  मादक महुवा संग  , भ्रमर ने रास रचाया।।

                     : श्रीराम तिवारी:

  

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