गुरुवार, 12 फ़रवरी 2015

"'दिल्लीश्वरो व जगदीश्वरो वा " अर्थात जो दिल्लीश्वर है वही जगदीश्वर है !

   पाती प्रधान मंत्री जी के नाम !

       माननीय,
                       श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी ,

                       प्रधानमंत्री -भारत सरकार ,
     
                        ७-रेस कोर्स रोड ,नयी दिल्ली

                                                         'अत्र कुशलम तत्रास्तु '   !

                                                        यह  जानकर अत्यंत दुःख हुआ कि  दिल्ली चुनाव परिणामों से आपकी विश्वविख्यात छवि को ठेस पहुंची है। उससे  न केवल  आपके भक्तों को, न केवल  देश के उद्द्योगपतियों को ,न केवल  शेयर बाजार  के खिलाडियों को,न केवल  दिल्ली के सट्टाबाजरियों को बल्कि योगियों ,स्वामियों ,ज्ञानियों  को भी  भारी  आघात पहुंचा है। चूँकि आप जमीन से  जुड़े हुए  हैं, आप  आम आदमी की परेशनियों से वाकिफ नेता  हैं, इसलिए आपकी साम्प्रदायिक छवि  के  वावजूद  देश  और दुनिया के अनेक नर-नारी  आपसे प्यार करते हैं। लेकिन आपकी अमेरिका ,नेपाल ,भूटान ,आस्ट्रलिया ,जापान  यात्राओं  से भारत को जो  काल्पनिक -आभासी  यश प्राप्त हुआ  - वह दिल्ली चुनाव के परिणामों से  कुहांसा ही साबित हुआ। बड़े दुःख  की बात यह है कि कल तक  भारत में और विश्व में - इस धरती पर 'मोदी मोदी' का जाप करने वाले ही नहीं बल्कि कुछ भावुक देशभक्त भी   आप की पराजय से दुखी हैं !  वेशक  एक खास ऊंचाई के बाद  पतन प्रकृति का ही नियम है। इसमें  न  तो आपका और न ' ही आप' का कसूर है।  यह दौर तो उनके  विहंगावलोकन का है। जिन्हे 'राजमद' हो गया था।
                                       सुना है की आपने राजकोट का अपना 'नमो मंदिर' ध्वस्त करा  दिया है।यह अच्छा किया।  यह भी खबर है कि जो  सूट  आपने ओबामा जी के 'मिलन समारोह' में पहना  था वो रत्नजड़ित कीमती  दसलखिया सूट भी आपने नीलामी के लिए दे दिया है।  वाराणसी के किसी एनजीओ के मार्फ़त वह पैसा  शायद  'संघ' के काम आये !  इसमें क्या बुराई है ? कितना अच्छा होता कि  यह सब  पुनीत पावन  कर्तव्य आप दिल्ली चुनाव में हारने से पहले ही कर लेते  ?
                         खैर बुरी खबर ये है कि  जिस उपद्रवी गोत्र ने भाजपा को दिल्ली में हराया।  उसका पितृपुरुष अब भृष्टाचार के खिलाफ ताल ठोकने  जा रहा है।  भाजपा और आपका मानमर्दन  करने वाले अरविन्द केजरीवाल  और भाजपा की नाक कटवाने वाली किरण वेदी के गुरु -आराध्य -रालेगण सिद्धि प्रतिष्ठान के अधिष्ठाता -श्री   अन्ना  हजारे फिर से आंदोलन की बात करने जा रहे  हैं। आपके कुछ वरिष्ठ नेता जिन्हे आपने किनारे कर रखा था  वे  दिल्ली चुनाव परिणाम से बेहद उत्साहित हैं।
                                           शत्रुघ्न सिन्हा जी ने तो पहले ही भाजपा की हार घोशित  कर दी  थी।मीडिया वालों ने ,सर्वे वालों ने और खुद आपके अपने वालों ने तो  चुनाव  पूर्व ही भाजपा की हार  को  आपके गले में डाल  दिया था। अब गोविंदाचार्य जैसे विभीषण भी  अन्ना के अवैतनिक सलाहकार होने जा रहे हैं। आपके अश्वमेध का घोड़ा दिल्ली में ही घनचककर  हो गया है। केवल उद्धव ठाकरे ही नहीं ,केवल शिरोमणि अकाली दल ही नहीं बल्कि भाजपा और 'संघ परिवार' के अनेक क्षत्रप भी दिल्ली में आपकी रुसवाई से गदगद हैं ! इस दुरवस्था से 'भागवत'  जी भी हलकान हो रहे हैं ! लोग कहने लगे हैं की कांग्रेस मुक्त भारत के चक्कर में कहीं भाजपा मुक्त भारत की नौबत न आ जाये ?मोदी जी को मालूम हो कि केंद्र सरकार की लगभग पूरी कैविनेट  ,अधिकांस मुख्यमंत्री भी दिल्ली में भाजपा की हार से बेहद प्रसन्न हैं। बिलकुल कांग्रेस की ही मानिंद भाजपा के नेता  भी घोर अवसरवादिता पर उत्तर आये हैं।  भृष्टाचार में तो  ये भाजपाई  नेता अब कांग्रेसियों के भी  बाप हो चले हैं। अकेले मध्यप्रदेश में ही इतने घपले उजागर हो रहे हैं  की  अब तो लोगों ने  इसकी चर्चा करना ही छोड़  दिया।
                                              आशा है आपने विगत ३-४ दिन में दिल्ली की हार का मंथन कर लिया होगा !आपको वह गुलामी   के दौर की  सामन्तकालीन युक्ति  तो याद है न ! "'दिल्लीश्वरो व  जगदीश्वरो वा " अर्थात जो दिल्लीश्वर है वही जगदीश्वर है ! उसके अनुसार तो भाजपा का और 'नमो' का अश्वमेध अधूरा ही है। क्योंकि दिल्ली पर तो कोई और ही काबिज हो चुका है ! इस स्थति से निपटने के लिए आपको कांग्रेस मुक्त नहीं बल्कि साम्प्रदायिकता मुक्त ,भृष्टाचार मुक्त और गरीबी मुक्त भारत का नारा देना चाहिए। सामूहिक नेतत्व, लोकतांत्रिक  कार्यप्रणाली , सामाजिक सौम्यता, मानवीय विनम्रता और हर किस्म की समानता के आचरण से   ही आप 'आप' को हरा सकते हैं। कांग्रेस से आम आदमी  पार्टी से  या किसी अन्य दल से दल बदल करवाकर  ,बोगस  सदस्य बनाकर आपके अध्यक्षजी भाजपा को 'दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी ' बनाने चले थे।  चौबे जी छब्बे तो नहीं  दुब्बे  बनकर उदास हैं।
                                                  खबर है कि  दिल्ली में  भाजपा के  सदस्यों ने  ही भाजपा को वोट नहीं  दिया।  शायद  आपके अध्यक्ष को वास्तव में हर हिन्दुस्तानी हिन्दू ही नजर आया होगा। आपके साथियों को और  आपको  यह  स्मरण  रखना चाहिए कि   किसी की रेखा को  मिटाकर अपनी रेखा बढ़ाने वाले कभी इतिहास नहीं बना सकते। आपने  विगत लोक सभा चुनावों में देश की आवाम से ढेरों वादे किये हैं।  उनमे से  एक  भी  प्रकरण   पर अभी तक तो  कोई काम नहीं  हुआ।  आपने हिन्दुओं मतों को धुर्वीकृत करने वावत जितने भी प्रयास किये वे दिल्ली के युवाओं ने ठुकरा दिये।  देश के युवाओं को भी दिल्ली  के युवाओं का संदेश  भाने  लगा है। आपको भी  दिल्ली की जनता कुछ तो इशारे कर रही है।  शायद आप को कुछ  इशारा  तो समझ में आ ही गया होगा ! उन इशारों में कांग्रेसी पतन का इतिहास भी छिपा है। एनडीए और मोदी सरकार  ने उस एजंडे  को भूलकर १० महीने में ही जनादेश खो दिया।

  यह स्मरण रहे कि  भृष्टाचार  का मामला ,कालेधन का मामला,एफडीआई  का मामला ,अध्यादेशों का मामला ,किसानों -गऱीबों का मामला अब आपकी सत्ता की चूलें हिला सकता है।  यह भी  याद रखें  कि जिन्दा कौम  भले ही  पाँच  साल  इन्तजार कर ले किन्तु वर्तमान  युवा ५ महीना भी इंतजार नहीं कर सकता !  बिहारियों और युपैयों से तो आप  अभी दूर  ही रहो क्योंकि  उनकी आकांक्षाएं अनंत हैं।  वहां जो अलोकतांत्रिक फिजायें  बन चुकी हैं , जो अस्थिरता की हवाएँ बह रहीं हैं वे  चारों ओर   से  'संघ परिवार' और आपके खिलाफ हैं !


       आप यशश्वी हों  ! आप अपने किये गए वादों में कामयाब हों ! आप अमरीका और  पूंजीपतियों के बजाय देश के गऱीबोंब-किसानों और आम आदमी को प्रिय हों ! शुभकामनाओं सहित ,

       अभिवादन सहित ,  आपका शुभचिंतक !

                                                           श्रीराम तिवारी
                                         

             

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें