कवि - नाटककार और महान विचारक बर्तोल्त ब्रेख्त का आज ११७ वां जन्म दिन है।
इनके पिता कटटर कैथोलिक और माँ प्रोस्टेंट थी। जबकि ब्रेख्त को जर्मन, फ्रांसीसी ,चीनी और भारतीय
दर्शन शाश्त्र में विशेष रूचि थी। उनकी निजी अनुभवजन्य कुछ स्थापनाएँ इस प्रकार हैं :-
[१] गरीबी उदास जरूर करती है किन्तु बुद्धिमान भी तो बनाती है !
[२] लोग वहीँ के वहीं बने रहते हैं जबकि उनके मुखोटे निकल चुके होते हैं !
[३] कानून बनाने का एकमात्र उद्देश्य उन लोगों को ठगना है जो उसके बारे में नहीं जानते !
[४] अपनी आकांक्षा की पूर्ती से बेहतर है एक अच्छा इंसान बनने का जज्बा !
[५] भूँखा इंसान यदि पुस्तकों से नजदीकियाँ बना ले तो पुस्तकें भी हथियार बन सकतीं हैं !
[६] बुद्धिमत्ता का तात्पर्य यह नहीं कि कोई ही गलती न की जाए ,बल्कि आप कितनी जल्दी अपनी गलती
को सुधारते हैं ,यह बुद्धिमत्ता है !
[७] हर कोई हर पल किसी की मदद का अभिलाषी है !
[८] जिन लोगों को सच का पता होता है फिर भी झूंठ बोलते हैं वे दुनिया में सबसे बड़े अपराधी हैं , जो सच से
बाक़िफ़ नहीं होते वे बेईमानों के कठपुतली मात्र हैं !
[९] ज्ञान की दुनिया भी अजब है ,यहाँ दूसरों को सिखाने वाले खुद ही ज्ञान के मुँहताज हैं !
[१०] मौत से डरो मत ,यह आधे -अधूरे जीवन की तुलना में कम भयावह है !
संकलन -श्रीराम तिवारी [अनुवाद -दैनिक भास्कर ]
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