कांग्रेस एक गई गुजरी राजनैतिक पार्टी हो चुकी है। अधिकांस कांग्रेसी नेता नाकारा हो चुके हैं ,बदनाम तो वे पहले ही बुरी तरह से हो चुके हैं।चूँकि सत्ता चली गई तो डूबती नाव के मेंढकों की मानिंद उछल-कूंद भी करने लगे हैं । जब यूपीए का नेतत्व करते हुए कांग्रेस सत्ता में हुआ करती थी तब मैंने डॉ मनमोहनसिंह , सोनिया जी ,राहुल और कांग्रेस की रीति-नीति के विरोध में दर्जनों आलेख लिखे हैं। ये जहरबुझे आलेख अभी भी मेरे ब्लॉग www.janwadi .blogspot.com के अभिलेखागार में सुरक्षित हैं। इन आलेखों में बाजमर्तबा मैंने राहुल को 'पप्पू' कहकर उपहास किया है। ततकालीन कांग्रेस नेतत्व पर भी अकर्मण्यता के आरोप लगाए हैं। किन्तु जयंती नटराजन के खुलासे के बाद मैं 'अपराध बोध' से पीड़ित हूँ।
जयंती नटराजन जो खुलासे कर रहीं हैं और उनके 'नए-नए यार' उन खुलासों पर गदगद रहे हैं , वास्तव में वे तो राहुल के लिए प्रशंसा पत्र हैं। यदि राहुल ने[जैसा कि जयंती नटराजन ने कहा ] ने बाकई बहुराष्ट्रीय कम्पनी वेदांता या अडानी जैसे लुटेरों को पर्यावरण का सत्यानाश करने से रोका है या उनके प्राकृतिक दोहन के अभियोजनों पर अड़ंगा लगाया है , कदाचित यह तो यह राहुल का देश भक्तिपूर्ण कार्य है।
भारत के जागरूक वैज्ञानिकों ,समाजसेविओं और देशभक्तों का यही तो संकल्प है कि विकास हो तो सबका। लेकिन देश के पर्यावरण या वैयक्तिक लूट की खुली छूट के आधार पर कागजी विकास नहीं चाहिए। काश जयंती नटराजन के आरोप सही होते ! दरसल कांग्रेस ने ठीक से देश की सम्पदा का रखरखाव नहींकिया !जयंती नटराजन के आरोप सही नहीं हैं। वेदांता ,अम्बानी , अडानी की सम्पदा तो यूपीए के कार्यकाल में ही
चौगुनी बड़ी है। काश डॉ मनमोहनसिंह ने ,सोनिया गांधीं ने , राहुल ने पूँजीपतियों की राह में रोड़े अटकए होते। तो उनके कार्यकाल में देश के ६७ पूँजीपतियों की सम्पदा चौगुनी -पचगुनी नहीं हुई होती। देश की गरीब जनता कंगाल नहीं हुई होती। यूपीए और कांग्रेस की इतनी बुरी दुर्दशा नहीं होती कि विपक्ष का रुतवा भी न मिले। गनीमत है कि कांग्रेस के नेताओं ने ,राहुल ने ,मनमोहन सिंह ने 'नौलखिया शूट ' कभी नहीं पहना। इसलिए यदि साधारण कपड़ों में राहुल 'पप्पू' लग रहे थे जयंती बेन को तो 'नौलखिया शूट ' में फेंकू ही लगते न ? राहुल की गलतियां पूँजीपतियों की परेशानी का सबब रहीं तो इसमें राहुल ने कौनसा गुनाह कर दिया ?दरसल राहुल से शिकायत तो उनको है जो उन्हें देश का उदीयमान युवा नेतत्व मान बैठे थे। चूँकि राहुल ने नीतियों ,सिद्धांतों और आधुनिक युग के अनुरूप वैकल्पिक नीतियों का अनुसंधान ही नहीं किया इसलिए वे व्यक्तिशः आज भी पप्पू ही हैं। चूँकि कांग्रेस ने स्वाधीनता संग्राम का , गांधीं जी ,इंदिराजी ,राजीव जी के बलिदान का अमर फल खा रखा है इसलिए उसे पुनः सत्ता में आने से कोई नहीं रोक सकता। किन्तु राहुल ने यदि मनमोहनी आर्थिक नीतियों से किनारा नहीं किया तो देश को सही नेतत्व नहीं दे सकेंगे। कांग्रेस से जो तलछट उफन -उफ़न कर भाजपा में जा रही है -वही उसके पतन का कारण बनेगी। क्या यह घोर अंधेर नहीं है की मोदी जी को कांग्रेस तो 'पाप का घड़ा ' दिखती है। उन्हें और उनके भगवा भौंदुओं को हर कांग्रेसी केवल देशद्रोही ही दीखता है। किन्तु यदि वह भाजपा में आ जाये तो धर्मात्मा हो जाता है ! यह पाखंडवाद की राजनैतिक बाजीगरी नहीं तो और क्या है ?
जिनके प्रसाद पर्यन्त जयंती नटराजन बिना कोई चुनाव लड़े [राज्य सभा के मार्फ़त] २० साल कांग्रेस की सांसद रही। जिनके सौजन्य और नारीवादी दृष्टिकोण की बदौलत वे १० साल लगातार कैविनेट मंत्री रही। उन जयंती नटराजन को टूटी-फूटी कांग्रेस ,सफेद साड़ी वाली सोनिया जी और साधारण पायजामा कुर्ते वाला राहुल अब 'नीम करेला ' हो चुके हैं। तमाम दलबदलुओं को -गणतंत्र दिवस पर १० लाख का स्वर्णिम पीतांबर धारण करने वाले मोदी जी,ओबामा को चाय बनाकर 'सर्व' करने वाले मोदी जी ,कर कमलों में झाड़ू ले- फोटो खिचवाने वाले मोदी जी अब श्री हरि विष्णु का २५ वां अवतार दिखने लगे हैं।
इस घोर व्यक्तिवादी ,मौकापरस्त - अवसरवादी राजनीति के उत्प्रेरकों को धिकार है! जो इन विदूषकों की चरण वंदना में व्यस्त हैं यदि उन्हें रंचमात्र शर्म नहीं आती तो उनकी वेशर्मी को भी कोटिशः धिक्कार है !
श्रीराम तिवारी
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