ज्ञानी* के लिए सुख-दुःख सब समान हैं!किंतु सांसारिक मायामोह के वशीभूत सभी के जीवन में दुःख व्यापता है! इसीलिये असल ज्ञानी वह है,जो यह जान लेता है कि परेशानियों की वजह ह्रदय की संवेदना हो सकती है या दिमाग के सवाल हो सकते हैं ! इस अनुभव का निष्कर्ष यह है कि इस संसार से न राग हो और न प्रीति न द्वेष !केवल सत् चित् आनंदघन में नित्य साक्षी भाव ! यही अध्यात्म का सही अर्थ है!
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