जातीय या साम्प्रदायिक आधार पर संगठित होने या एका कायम करने का फायदा सिर्फ उन्हें मिलता है जो समाज का नेतृत्व करते हैं! जो जातीय नेता राजनीति में आकर चुनाव लड़ते हैं,वे काठ की हांडी की तरह सिर्फ एक बार ही राजनीतिक के चूल्हे पर काम आते हैं डॉ बाबा साहिब भीमराव अंबेडकर, मान्यवर काशीराम,चौधरी चरणसिंह, देवीलाल,चौटाला,बादल,लालू,मुलायम,मायावती,नितीष, किरोडसिंह बैसला,ठाकरे,ओवैसी जैसे लोगों का इतिहास बताता है कि वे जिस समाज के नेता बनकर ताकतवर हुए हैं,उन्होंने उस समाज का उतना भला नही किया! जितना एक मजबूत ईमानदार सरकार कर सकती है! उक्त नेताओं की वजह से यदि किसी समाज का विकास हुआ भी है,तो वह समाज आगे आकर घोषणा क्यों नहीं करता कि:-
"भाई हम तो पूर्ण विकसित हैं ,अब हम आरक्षण की वैशाखी त्यागकर *सबका साथ सबका विकास* करेंगे! अब हम आर्थिक आधार पर कमजोर और गरीब वर्ग के विकास की ओर अग्रसर होंगे! "
वास्तव में जात पांत के आधार पर संगठित होने का फायदा केवल पैसे वाले ताकतवर लोग ही उठाते हैं ! अपनी सत्ता बनाये रखने के लिये हर जात-धर्म-मजहब के नेता और अमीर लोग एक हो जाते हैं !अत: हर जात धर्म मजहब के गरीबों को इनके चंगुल से बचना चाहिए और जात पांत धर्म मजहब से ऊपर उठकर सर्वहारा की एकता कायम करना चाहिये!
कांग्रेस की वर्तमान *भारत जोड़ो यात्रा *कहने को तो देश की जनता को आपस में जोड़ने के लिए किंतु राहुल गांधी केवल ईसाई फादरों और मुस्लिम मौलवियों से ही संवाद कर रहे हैं! दूसरी तरफ बूढ़ी जर्जर कांग्रेस के ख़ानदानी* नेता राहुल गांधी आये दिन हिंदू संगठनों,हिंदू समर्थक राजनैतिक दलों की इकतरफा आलोचना करते रहते हैं! उनकी इस बाचालता से आम हिंदू जन कांग्रेस से जुड़ने के बजाय और अधिक दूर होते जा रहे हैं!
ऐंसा प्रतीत होता है कि वे राहुल गांधी और उनकी कांग्रेस दोनों हिंदू-विरोधी हैं! सोनिया जी बेशक बहुत सभ्य और सुशील सम्माननीय महिला हैं! किंतु काल कर्म स्वभाव गुण तथा वंशानुगत संस्कारों के वशीभूत वे ईसाइयत की समर्थक हैं ! राहुल गांधी अपने राजनैतिक लाभ के लिये पहले हिंदुओं,पंडितों,साधू संतों और ऋषि-मुनियों से कभी कभार संवाद कर लेते थे, किंतु इस *भारत जोड़ो* नाटक में हिंदुओं को जोड़ने की उनकी कोई योजना नही है !
बिना हिंदुओं को जोड़े, बिना हिंदू कौम का सम्मान किये कोई तुर्रम खां नेता या राजनैतिक पार्टी इस देशपर शासन नही कर सकते! भले ही सूर्योदय पूर्व के बजाय पश्चिम से होने लग जाए! श्रीराम तिवारी
श्रीराम तिवारी.
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