भले ही भारत के अर्धसामंती,अर्धपूंजीवादी समाज में कई ग्रुपों में बिखरे पड़े वामपंथ को अतीत में पर्याप्त सफलता नही मिली!किंतु तब भी पूर्ववर्ती कॉ नम्बूदिरीपाद,कॉ.ज्योति बसु,कॉ.ए.के.गोपालन,कॉ.हरकिसन सिंह सुरजीत, कॉ इंद्रजीत गुप्ता,कॉ बीटीआर, कॉ.प्रमोद दासगुप्ता, कॉ ए. वी. बर्धन, कॉ. होमी दाजी जैसे सर्वहारा के असली हीरो जब तक जिंदा रहे, सारी दुनिया में भारतीय वामपंथ की तूती बोलती रही! पं.नेहरू और इंदिराजी ने वामपंथ को बहुत सताया,किंतु हमारे तत्कालीन कामरेड कभी भी श्रीहीन नही हुए!
बुधवार, 31 मार्च 2021
लडेंगे तो जीतेंगे भी
पानी सिर से न गुजर जाये
पी एम मोदीजी अब इस जुगाड़ में हैं कि पांच राज्यों में अपने दम खम पर बहुमत प्राप्त करके सरकारें बनाएं! ताकि उन अंतर्राष्ट्रीय आलोचकों का मुँह बंद कर सकें,जो मोदी जी को निरंकुश शासक घोषित कर चुके हैं! और जो मानते हैं कि मोदी सरकार के कतिपय कठोर निर्णयों से ,उनका जनाधार कम हुआ है!
मंगलवार, 30 मार्च 2021
हिंदुओं के कारण ही धर्मनिरपेक्षता है!
हिंदुओं ने सैकड़ों साल पहले गंगा जमुनी तहजीव अपनाकर अपने नाम गजबसिंह, अजबसिंह,इकबालसिंह,उम्मेदसिंह,हिम्मत सिंग,फतेहसिंह जासमीन रख लिये! बड़े फक्र की बात यह है कि ये आधे मुस्लिम और आधे हिंदू नाम को मिलाकर सेक्युलर नाम खुद पंडितों ने ही रखे!
ताबिश का सिद्धार्थ होना मेरे लिए बहुत ज़रूरी था-Tawish siddharth
ये संभव था कि बुद्ध शाक्य रहते हुवे अपने वंश की धार्मिक परंपराओं को मानते हुवे "बुद्धत्व" प्राप्त कर लेते? ये छोड़ना क्यूं ज़रूरी था बुद्ध के लिए? क्यूं ज़रूरी था कि वो एकदम नई यात्रा पर निकलते सत्य की खोज में? क्यूं नहीं वो किसी भी ऋषि या मुनि से योग या वैसी कोई दीक्षा ले कर महल में बैठ कर ही "बुद्धत्व" पा लेते?
भारतीय सनातन समाज सहज धर्मनिरपेक्षतावादी ही है। -[भाग -1]
मेरा ऐसा मानना है कि अधिकांस प्रबुद्ध भारतीय जन-गण अपने देश और उसके संविधान को सबसे अहम और पवित्र मानते हैं !किन्तु कुछ अपवाद भी हैं। कुछ नागरिक जो भारत में जन्में हैं, भारत में ही पले -बढ़े है वे अपने देश से बढ़कर अपने मजहब को ही बड़ा मानते हैं , कुछ लोग अपने देश के संविधान से ऊपर अपनी जाति -खाप और अपने समाज के दकिनूसी बर्बर उसूलों को ही तरजीह दे रहे हैं। कुछ लोग अपनी तथा कथित पिछड़ी-दलित जाति की वैचारिक संकीर्णता को राष्ट्र से ऊपर मानते हैं। कुछ जातियां ठाकुरों ब्राह्मणों से किसी बात में कमतर नहीं किंतु मंडल कमीशन की गलत व्याख्या के परिणामस्वरूप वे अपने आप को सनातन काल तक पिछड़ा,दलित और महादलित कहलाने के लिए तैयार हैं!
रविवार, 28 मार्च 2021
एक फोन काल की दूरी
स्वाधीन भारत के इतिहास में यह पहला अवसर है जबकि प्रधानमंत्री जी का अधिकांस समय अपनी पार्टी के चुनाव प्रचार में व्यतीत हुआ करता है! देश आर्थिक दल दल में धस रहा है,जो किसान अन्नदाता हुआ करता था,वह चार महिनों से सड़कों पर है और 'एक फोन काल की दूरी' अभी तक समाप्त नही है! खुदा खैर करे!
शुक्रवार, 26 मार्च 2021
Happy birth day shri Ratan Tata ji.....jeevet shardah shatam...
सेवानिवृत्त होने से पूर्व मैने 35 साल तक हर मंच से टाटा बिड़ला की जागीर नही.. हिंदुस्तान हमारा है के नारे लगाये! तब टाटा बिड़ला ही भारतीय पूंजीवाद के प्रतीक माने जाते थे! किंतु जब कुछ नये चोट्टे खरबपति बन गये और टाटा बिड़ला पिछड़ गये तब मुझे यह नारे लगाने में झिझक होऩे लगी!
कौन कहता है कि मर्द को दर्द नही होता?
कौन कहता है कि मर्द को दर्द नही होता?
रविवार, 21 मार्च 2021
धर्म मज़हब को धंधा बनाना हाराकिरी है
*चर्च के पास अरबों डॉलर कहाँ से आए ? मस्जिद के पास अरबों रुपये कहाँ से आये ? मंदिरों के पास अरबों खरबों रुपये का चढ़ावा कहाँ से आया ? यह सब आपका हमारा ही दिया हुआ पैसा है, पर साइंस और रिसर्च के लिए कुछ भी नहीं, आज वैश्विक कोरोना महामारी के समय आपके दिए हुए अरबों खरबों रुपये लेकर यह सारे धर्म स्थान बंद हो गए हैं और अस्पताल खुलें है. सारे *धर्म गुरु* *अपने बिलों में छुप गए हैं और डाक्टरों, नर्सों और अस्पताल के अन्य स्टाॅफ अपनी ज़िन्दगी की परवाह किए बिना काम पर लगे हुए हैं.
ईश्वर ने मानो एक संदेश दिया है ;- जय कोरोना
धन्य है ,कोरोना वायरस, एक झटके में घुटनों पर ला दिया समस्त मानव जाति को। उड़े जा रहे थे, उड़े जा रहे थे । कोई चाँद पर कब्जे की तैयारी कर रहा है तो कोई मंगल पर। कोई सूरज को छूने की कोशिश कर रहा है तो कोई अंतरिक्ष में आशियां ढूँढ रहा है । चीन पड़ोसी देशों की जमीन हड़पने की तैयारी में तो रूस और अमेरिका nuclear power के नशे में पूरे विश्व को ध्वस्त करने की कोशिश में लगे हैं ।
शनिवार, 20 मार्च 2021
राग कोरोना कहर .
जबसे दुनिया में कोरोना मशहूर हो गया!
काक: काक : पिक: पिक:!!
कुछ अनुभवी बुजुर्ग लोगों से सुना है कि *कम बोलने से बहुत सारे मसलें सुलझ जाते है,जीवन निरापद रहता है!
काक: कृष्ण पिक : कृष्ण ,कोभेद पिक काकयो?
बसंत समये शब्दै काक: काक :
पिक: पिक:!!
ज़िन्दगी बदलने के लिए लड़ना पड़ता है!
-ज़िन्दगी बदलने के लिए लड़ना पड़ता है!
शुक्रवार, 19 मार्च 2021
नाराज़ है... "ज़िन्दगी
कभी तानों में कटेगी,*
यह राष्ट्रवाद है.
जब जापान में सुनामी आयी तो एक बूढ़ी औरत वहाँ पर छाते लगाकर कुछ इलेक्ट्रिक सामान बेच रही थी. BBC के रिपोर्टर ने उससे रेट मालूम किए तो अंदाज़ा हुआ कि बूढ़ी औरत मार्केट से सस्ते दाम पर सामान बेच रही है. जब रिपोर्टर ने उस बूढ़ी औरत से उसकी वजह पूछी तो उसने कहा कि मैं मार्केट से होलसेल पर सामान लाती हूँ और अपने मुसीबत में फंसे लोगों को उसी रेट पर सामान बेच देती हूँ. यह मेरा, मेरे देश के लिए योगदान है. यह राष्ट्रवाद है.
गुरुवार, 18 मार्च 2021
*100 जानकारी जिसका ज्ञान सबको होना चाहिए*
1.योग,भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है।
बुधवार, 10 मार्च 2021
क्रांतिकारी विचारधारा कभी अप्रासंगिक नही होती"
अस्सी के दशक में ट्रेड यूनियंस के ज़रिये मार्क्सवाद से मेरे परिचय के बाद से मेरा झुकाव बढ़ता चला गया!नई आर्थिक नीतियों और वैश्वीकरण/भूमंडलीकरण के विरोध में उठे जनांदोलनों से जुड़ाव ने मजदूर किसान के हितों के साथ संबंधों को जहाँ मज़बूती प्रदान की,वहीं साम्प्रदायिक और जातिवादी राजनीति के उभार के विरोध में वामपंथ को सिरमौर देख उसकी नीतियौं को ह्रगयगम्य कर लिया!
गीता के किस अध्याय और श्लोक में लिखा है कि धन्ना सेठों का साथ दो और मजूर किसान को बेमौत मरने दो?
श्रीमद्भगवद्गीता की जब कोई खास शख्स तारीफ करता है,तो मुझे अच्छा लगता है! क्योंकि मैं भी भगवद् गीता का प्रशंसक हूँ! और इसीलिए मैं 7 साल की उम्र से नियमित पढ़ रहा हूँ! गीता के किसी भी श्लोक पर मैं कम से कम एक घंटा बोल सकता हूँ! जब तक जीवित हूँ, तब तक गीता पढ़ता रहूंगा! और उस पर अमल करने की भी निरंतर कोशिश करता रहूंगा! दरसल भगवद् गीता कोई स्वतंत्र रचना नही है अपितु इसे महान कालजयी ग्रंथ महाभारत के भीष्म पर्व से उद्धृत किया गया है, यह वेदों उपनिषदों का सार है, ब्रह्मज्ञान है! किसी ने बहुत सही कहा है :-