16-17 साल पहले हमने आम के दो पेड़ लगाये थे ! किन्तु जब दस बारह साल तक एक आम में बौर नहीं आये,तो दो साल पहले गर्मियों में उसे कटवाने की सोची। लेकिन विगत दो साल से उसमें बौर आने लगे और खट्टे मीठे आम भी!इसलिये हम इन फलते फूलते आमों को देखकर बसंत का दीदार करने लगे हैं!
लेकिन अभी यह तय होना बाकी है कि इस उपलब्धि का श्रेय किसे दें?क्या इस तरह की उपलब्धि में मोदीजी अथवा उनकी सरकार का या उनकी नीतियों का कोई योगदान है ?
इसी तरह एक उदाहरण और है! 15-16 साल पहले हमने बैंक लोन लेकर बड़ी शिद्दत और मुश्किल से एक आई डी ए का प्लाट खरीदकर मकान बनाया! रिटायरमेंट पर मिले पैसों से उसे और विस्तार दिया!छोटा सा गार्डन भी बनाया!माली लगाया!सवाल उठता है कि क्या इसका श्रेय किसी सरकार को जाता है? और जाता भी है तो तबतो डॉ. मनमोहनसिंह की सरकार थी!मोदीजी ने तो सिर्फ नोटबंदी दी,जीएसटी दिया और अब युवाओंको बेरोजगारी दी तथा आंदोलनकारी किसानोंको मौत और बर्बादी की सौगात दी!
क्या यह कहूँ कि कि आदरणीय अलॉ फला मंत्रीजी आप सत्तामें क्या आये हमारी जीवन की बगिया में बहार आ गयी ? आपके नेतत्व में सिर्फ मेरे ही नहीं बल्कि सारे मुल्क के आमों में बौर आ गए हैं? पडोसी मुल्क में जो आम बौराये हैं,वे भी हमारे पीएम की महिमा से ही बौराये हैं! सिर्फ आम ही नहीं बौराये,बल्कि इन दिनों तो बड़बोले चिरकुट नेता और अंधभक्त भी बौराये हुए हैं!
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