वे जन्मना कट्टर सनातनी हिंदू और उच्चकोटि के कर्मकांडी (ब्राह्मण) पंडित थे! फिर वे आजादी के संघर्ष में कांग्रेसी हो गए! आजादी मिली तो यायावर सन्यासी,अघ्येता और साहित्यकार हो गये! उन्होंने पाकिस्तान के पेशावर,लाहौर से लेकर चीन तिब्बत ल्हासा लद्दाख लेह तक बौद्ध साहित्य की पांडुलिपियां खंगालकर पढ़ डालीं! कुछ तो खच्चरों पर लादकर भारत भी लाए! फिर वे संसार के सर्वश्रेष्ठ बौद्ध भिक्षु हो गए! तदुपरांत उन्होंने क्यूबा,हंगरी और सोवियत यूनियन जाकर सर्वहारा क्रांति का अध्यन किया ! और अंत में वे मार्क्सवादी हो गये!
वे संस्कृत,पाली,प्राक्रत, तिब्बती,उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी के महान ज्ञाता थे! संसार में उनके बराबर शैक्षणिक योग्यता और विभिन्न भाषाओं का ज्ञान और किसी के पास रहा हो, ऐंसा मुझे नही मालूम ! उन्होंने जीवन में कभी कोई पद लाभ नही लिया! मैं उनका साहित्य पढ़कर ही मार्क्सवाद और रामराज्य को थोड़ा सा जान पाया ! बताओ वे कौन थे?
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