श्रीमद्भगवद्गीता की जब कोई खास शख्स तारीफ करता है,तो मुझे अच्छा लगता है! क्योंकि मैं भी भगवद् गीता का प्रशंसक हूँ! और इसीलिए मैं 7 साल की उम्र से नियमित पढ़ रहा हूँ! गीता के किसी भी श्लोक पर मैं कम से कम एक घंटा बोल सकता हूँ! जब तक जीवित हूँ, तब तक गीता पढ़ता रहूंगा! और उस पर अमल करने की भी निरंतर कोशिश करता रहूंगा! दरसल भगवद् गीता कोई स्वतंत्र रचना नही है अपितु इसे महान कालजयी ग्रंथ महाभारत के भीष्म पर्व से उद्धृत किया गया है, यह वेदों उपनिषदों का सार है, ब्रह्मज्ञान है! किसी ने बहुत सही कहा है :-
"सर्व उपनिषद गावो गोपाल नंदन :"
हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी ने आज
भगवदगीता की जो प्रशंसा की उससे मैं पूर्णत: सहमत हूँ! किंतु उन्होंने गीता की जो व्याख्या की उससे गीता का कोई लेना देना नही! इससे अच्छी तारीफ तो महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक,बिनोबा भावे,प्रो.मैक्स मूलर,भगतसिंह,आजाद,पं.नेहरु जार्ज बर्नाड शा,फादर कामिलबुल्के,रस्किन बांड,श्रीपाद अम्रत डांगे और कामरेड नम्बूदिरीपाद करते रहे हैं! वे सिर्फ तारीफ ही नहीं,बल्कि जीवन में आचरण भी करते रहे हैं!
सवाल उठता है कि श्री मोदीजी ने अपने जीवन में गीता का अनुसरण कब कहां किया?सवाल उठता है कि गीता के किस अध्याय और श्लोक में लिखा है कि धन्ना सेठों का साथ दो और मजूर किसान को बेमौत मरने दो?
मोदीजी के जीवन में ज्ञान -कर्म -सन्यास का कब कहां उद्दीपन हुआ ? और वे गीता के किस सिद्धांत या दर्शन के अनुशीलन कर्ता हैं? गीता के 18 अध्याय और 700 श्लोकों में से कोई एक बताएं, जिस पर भाजपा और मोदी जी अमल कर रहे हैं?
दरसल देश की जनता ने उन्हें भगवदगीता की तारीफ के लिये नही चुना,बल्कि कांग्रेस की काली करतूतों से परेशान होकर, अन्ना हजारे, बाबा रामदेव और भाजपा के अतिरंजित दुष्प्रचार के झांसे में आकर भाजपा को सत्ता में बिठाया है और मोदी जी को पी एम बनाया है! नौजवानों को गीता तो गीता प्रेस गोरखपुर वाले और इस्कान वाले पढ़ा ही रहे हैं,मोदीजी का काम है,कि आर्थिक और सामाजिक असमानता मिटाने के लिये अपने घोषित चुनावी एजेंडे पर अमल करें! गीता पढ़ाने और उसकी महिमा गाने के लिये इस देश में 5 करोड़ परजीवी साधु संत मौजूद हैं! जय श्री कृष्ण
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