पी एम मोदीजी अब इस जुगाड़ में हैं कि पांच राज्यों में अपने दम खम पर बहुमत प्राप्त करके सरकारें बनाएं! ताकि उन अंतर्राष्ट्रीय आलोचकों का मुँह बंद कर सकें,जो मोदी जी को निरंकुश शासक घोषित कर चुके हैं! और जो मानते हैं कि मोदी सरकार के कतिपय कठोर निर्णयों से ,उनका जनाधार कम हुआ है!
तदुपरांत मौजूदा संविधान में कुछ आमूल चूल बड़े संशोधन कर दिए जायगेें ! ये संशोधन किस दिशा में होंगे यह सुविदित है! यह अकाट्य सत्य है कि जबतक मोदीजी पीएम हैं ,वे पूँजीवादी विकासवाद का दामन नहीं छोडेगे। लेकिन 'सबका साथ -सबका विकास' के लिये मोदी जी को *वास्तविक धर्मनिरपेक्षता* के पक्ष में खड़े रहने की बाध्यता रहेगी ! वैसे भी जब तक पानी सिर से न गुजर जाये उनके खांटी गुजराती वणिक संस्कार नही बदलने वाले!
वेशक मोदीजी ने अतीत में मुख्यमंत्री के रूप में 'हिन्दुत्वाद' को कुछ तरजीह दी होगी!और इसी की बदौलत वे पीएम भी बन बैठे!बेशक आइंदा भी उनकी इस सीट को किसीसे कोई खतरा नही! इसीलिये वे अब इससे भी ऊपर उठकर द्रुत बाजारीकरण को तरजीह देंगे! निजी क्षेत्र की ताकत को बढ़ाने में प्राणपण से सहयोग करेंगे!
दरअसल आर एस एस की हिंदुत्ववादी राष्ट्रवादी सोच और अहर्निश मशक्कत तो केवल हिंदू वोट कबाड़ने का मंतव्य मात्र रह गया है।अपर मिडिल क्लास की फर्मावरदार भाजपा के लिये असल चीज है,सरमाएदारों पूँजीपतियों की भरपूर सेवा! गरीबी, मेंहगाई बेरोजगारी और असमानता जैसे शब्द उनकी डिक्शनरी में *आंदोलनजीवी*हो गए हैं!
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