रविवार, 21 मार्च 2021

धर्म मज़हब को धंधा बनाना हाराकिरी है

 *चर्च के पास अरबों डॉलर कहाँ से आए ? मस्जिद के पास अरबों रुपये कहाँ से आये ? मंदिरों के पास अरबों खरबों रुपये का चढ़ावा कहाँ से आया ? यह सब आपका हमारा ही दिया हुआ पैसा है, पर साइंस और रिसर्च के लिए कुछ भी नहीं, आज वैश्विक कोरोना महामारी के समय आपके दिए हुए अरबों खरबों रुपये लेकर यह सारे धर्म स्थान बंद हो गए हैं और अस्पताल खुलें है. सारे *धर्म गुरु* *अपने बिलों में छुप गए हैं और डाक्टरों, नर्सों और अस्पताल के अन्य स्टाॅफ अपनी ज़िन्दगी की परवाह किए बिना काम पर लगे हुए हैं.

दान धर्म बुरा नही है, किंतु कुपात्र को दान और धर्म मज़हब को धंधा बनाना हाराकिरी है! मजहबी भीड़ में शामिल होने से पहले और चंदा देने से पहले अपने दिमाग़ से सोचना ज़रुर कि कोरोना महामारी के इस कठिन समय में आपके साथ कौन खड़ा है?

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