सेवानिवृत्त होने से पूर्व मैने 35 साल तक हर मंच से टाटा बिड़ला की जागीर नही.. हिंदुस्तान हमारा है के नारे लगाये! तब टाटा बिड़ला ही भारतीय पूंजीवाद के प्रतीक माने जाते थे! किंतु जब कुछ नये चोट्टे खरबपति बन गये और टाटा बिड़ला पिछड़ गये तब मुझे यह नारे लगाने में झिझक होऩे लगी!
खैर रतन टाटा बड़े भाग्यशाली निकले क्योंकि वे पहले पूंजीपति थे जिसने सीपीएम को लाखों रुपयों का चंदा चैक से भेजा था! हालाँकि तत्कालीन सीपीएम महासचिव कॉ. हरकिसनसिंह सुरजीत ने धन्यवाद सहित चैक टाटा को वापिस भेज दिया था! उनका तर्क था कि हम वामपंथी पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ हैं, और चूँकि टाटा समूह राष्ट्रीय पूँजीपति वर्ग का हिस्सा है! अत :हम आपसे चंदा नही ले सकते!
वेशक टाटा समूह वामपंथ के साथ नही था ! किंतु रतन टाटा ने वामपंथ का और मजदूरों का हमेशा सम्मान किया!वे अपने कामगारों की नजर में भगवान हैं! आज रतन टाटा जी को उनके जन्म दिन पर उन्हें हार्दिक
बधाई
!जीवेत शरद:शतम्!
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