वास्तव में CAA पड़ोसी मुल्कों से धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर भगाये गये 2014 तक,गैर मुस्लिमों को शरण देनें का हक देता है!किंतु CAA के खिलाफ उग्र आंदोलन से प्रतीत होता है कि शायद पड़ोसी मुस्लिम देशों के मुसलमान भी वहाँ धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के शिकार रहे हैं! इसलिये वे भी भारत में ही बसे रहना चाहते हैं और यही वजह है कि वे CAA का विरोध कर रहे हैं!किंतु सवाल यह है कि इन शरणार्थी मुस्लिमों ने ऐंसा आंदोलन पाकिस्तान या अपने मूल वतन में क्यों नही किया?जब वहाँ अन्याय हुआ तब आवाज क्यों नही उठाई? भारत के शाहीनावाद में धरने पर बैठे लोग यदि बाकई शरणार्थी हैं,तो भारत सरकार को यह मसला UNO में ले जाना चाहिये और जिन देशों से ये मुसलमान आये हैं, उनसे सफाई मांगनी चाहिये!और यदि ये आंदोलनकारी पैदायशी भारतीय हैं तो उन्हें आश्वस्त किया जाए कि CAA से आपका कोई लेना देना नही है!क्योंकि आप घुसपैठिया नही हैं!चूँकि मोदी सरकार इस काम में विफल रही है अत: यह काम देश के धर्मनिर्पेक्ष लोकतांत्रिक विपक्ष को करना चाहिये! याद रहे कि देशभक्ति भाजपा और मोदी सरकार की निजी मिल्कियत नही है!
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