मंगलवार, 21 जनवरी 2020

मोदी अमित शाह तो निमित्त मात्र हैं

क्योंकि मैं किसान पुत्र हूँ और सरकारी नौकरी में आने से पहले बचपन में खेती -बाड़ी,मजदूरी भी की है!अत: मैं पूँजीवादी दलों भाजपा या कांग्रेस को कतई पसंद नही करता ! ये दल जब विपक्ष में होते हैं तब बड़े बड़े दावे करते हैं किंतु सत्ता में आने पर भ्रस्ट पूँजीपतियों के दलाल हो जाते हैं!कांग्रेस कहती कुछ है और करती कुछ है!संगठन में भी लोकतंत्र की जगह राजतंत्र का माहौल है!सब सोनिया शरणम् गच्छामि!
भाजपा वाले भ्रस्टाचार में कांग्रेस के अग्रज हैं!राज्यों में भले उनकी सत्ता आती जाती रहती है , किंतु केंद्र में उनकी आगामी 10 साल तक बल्ले बल्ले है! हम उसका विरोध करके न हरा पाए हैं न हरा पाएंगे!क्योंकि भाजपा और संघ परिवार वाले विगत 30 -35 साल से प्रलोभन देते आ रहे हैं,कि हम यदि सत्ता में आयेंगे तो निम्नांकित काम करेंगे!
उनका संकल्प था कि वे तीन तलाक,गरीब सवर्ण आरक्षण,धारा 370 राम मंदिर और विदेशी घुसपैठियों की समस्या हल करेंगे!जो जो अटल आडवानी जिंदगी भर बोलते रहे, उसी आधार पर जनता ने प्रचंड बहुमत देकर मोदी सरकार को दोबारा जिताया है वादा पूरा कर दिखाने के लिये!अब यदि वे ऐंसा नही करते तो बहुसंख्यक हिंदू नाराज हो जाएंगे!और यदि आगामी पांच वर्षों में ये पेंडिंग काम हो जाते हैं,तो हिंदू समाज को कुछ संतुष्टि मिलेगी फिर उसे संघ या भाजपा की जरूरत नही पड़ेगी,तब वह वामपंथ जैसे किसी बेहतर विकल्प की तलाश करेगी!तब बहुसंख्यक वर्ग उनके साथ सदियों से हुए अन्याय को भुलाकर गरीबी-अमीरी के मद्दे नजर,समानता बंधुता की तरफ देखेंगे! तब उन्हें एहसास होगा कि स्वतंत्र भारत के हिंदू मुस्लिम बाकई सब एक हैं!
वास्तव में मोदी अमित शाह तो निमित्त मात्र हैं,समग्र भारतीय अस्मिता ही स्वयं उस घड़ी का इंतजार कर रही है,जब हर भारतवासी वास्तविक रूप से धर्म,मजहब,राजनीति या आजीविका- हर चीज में समान हक और समान कर्तव्य का हकदार होगा!
इसलिये आज सत्तापक्ष जो कुछ भी कर रहा है,वह ऐतिहासिक भूलों का मानवीय और लोकतांत्रिक दुरुस्तीकरण मात्र है और यह कार्य कितना ही दुरुह या अवरोधमूलक क्यों न हो,वक्त आने पर स्वत: पूर्ण होकर रहेगा!
हम भले ही दस जन्म ले लें किंतु ऐंसा होने से नही रोक सकते! जेएनयू वाले,जामिया वाले, AMU वाले, हैदराबाद वाले,चाहे वे कोई भी हों उस होनी को नही रोक सकते, जो इतिहास ने खुद तय कर रखी है ! यह युगधर्म है,भवतव्यता है!

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