कुछ लोग CAA/NRC के खिलाफ हिंदू 'मुस्लिम एकता' का दावा कर रहे हैं,यह शुभसंदेश है! किंतु यह एकता तब नजर क्यों नही आई जब घाटी में चार लाख कश्मीरी हिंदू मार दिये गये या मार पीट कर भगाये दिये गये!कुछ ने तो चालीस साल टैंट में ही गुजार दिये! यह एकता तब नजर क्यों नही आई जब मुंबई ताज होटल और शिवाजी टर्मिनल पर कसाब जैसे बीस पाकिस्तानी दरिंदों ने खून की होली खेली!यह एकता तब कहाँ थी जब उड़ी,पठानकोट और पुलवामा पर आतंकी हमला हुआ?अब विदेशी घुसपैठियों को बाहर निकालने की बात चली तो लोगों को हिंदू मुस्लिम एकता याद आ रही है!वास्तविक एकता तभी बनेगी जब 'वर्ग चेतना' का विस्तार होगा!जब अमीर शोषक वर्ग बनाम गरीब शोषित का संघर्ष होगा,न कि हिंदू बनाम मुस्लिम का!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें