मानाकि जर्जर है मुल्क यह
और सदियों की खुमारी छाई है!
और सदियों की खुमारी छाई है!
किंतु ये कैसा इलाज कर रहे हो,
कि मुल्क की जान पै बन आई है !!
कि मुल्क की जान पै बन आई है !!
मझधार में डूब रही हमारी कस्ती,
फिर भी तुम्हें सूझ रही ठिलवाई है!
फिर भी तुम्हें सूझ रही ठिलवाई है!
अमीरों की तरक्की को बताते हो-
उपलब्धि और विकास-दुहाई है!!
उपलब्धि और विकास-दुहाई है!!
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