वे निहायत ही सरल स्वभाव एवं कुशाग्र बुद्धि के धनी प्रगतिशील विधिवेत्ता थे। आजादी के बाद भारत की न्याय व्यवस्था और लोकतंत्र को निरंतर गतिमान और समृद्ध बनाने में उनका भी बाबा साहिब भीमराव आंबेडकर की ही तरह महत्व पूर्ण योगदान रहा है। वे सर्वोच्च न्यायालय में सम्माननीय जज के रूप में पदस्थ होने से पहले ही विभिन्न स्तरों पर देश और दुनिया में अपनी न्यायप्रियता , निष्पक्षता ,निर्भीकता , ईमानदारी और न्याय निपुणता का झंडा गाड़ चुके थे। वे अपने अनेक जजमेंट और न्यायिक समीक्षायें हमेशा इस आधार पर प्रस्तुत किया करते थे कि न्याय की तराजू का पलड़ा न केवल कमजोर के पक्ष में झुका हुआ स्पस्ट देखा गया, बल्कि शक्तिशाली -ताकतवर शोषणकर्ताओं या अपराधियों को उनका नाम सुनकर ही कँपकँपी छूटने लगने लगती थी। उन्होंने सामाजिक असमानता ,आर्थिक असमानता और सरमाएदारी को कभी पसंद नहीं किया। लेखन के क्षेत्र में भी उन्होंने बहुत उपयोगी और उल्लेखनीय काम किया है। वे लेफ्ट फ्रंट को ,मेहनतकशों के आंदोलन को ,ट्रेड यूनियन और जनवादी मूवमेंट को आसा की नजरों से देखा करते थे। देश और दुनिया के सर्वहारा वर्ग को उनकी मौजूदगी मात्र से ही काफी हौसला मिला करता था। ऐंसे महान मानवतावादी ,राष्ट्रवादी , प्रगतिशील ,पद्मविभूषण से सम्मानित सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस वी आर कृष्ण अय्यर अब हमारे बीच नहीं रहे। उन के दुखद निधन पर हम शोक संवेदना प्रकट करते हैं। उन्हें क्रांतिकारी अभिवादन के साथ विनम्र श्रद्धाँजलि !
श्रीराम तिवारी
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