गुरुवार, 11 दिसंबर 2014

मध्यप्रदेश के मंत्रियों को नहीं मालूम भारत में नोबल किसे मिला ?

 राष्ट्रीय अखवारों और चैनलों में  आज यह खबर तो खूब चली कि कर्नाटक विधान सभा में भाजपा के कुछ विधायक  पोर्न साइट में  विजी  पाये गए।  लेकिन मध्यप्रदेश के भाजपा नेताओं और मंत्रियों  के हिन्दुत्ववादी,  प्रखर राष्ट्रवादी 'अखंड भारतवादी' ज्ञान की किरकिरी -शायद इन  राष्ट्रीय चैनलों और अखवारों तक नहीं पहुंची।  जिन्हे यह अधोलिखित  वाक्यात   मालूम है  कृपया वे इसे न पढ़ें।  जिन्हे इस  आख्यान में  कुछ असत्य या अनुचित  लगे वे पहले  भोपाल स्थति 'समिधा'  भवन  में किसी भी भाजपाई नेता से पूंछ तांछ कर प्रमाणीकृत कर  लें।  जिनका ईमान और जमीर नहीं मरा हो ,जिन्हे सत्यनिष्ठा और विवेक का ज़रा भी आत्माभिमान हो , वे इसे शेयर करें.पसंद  करें।

 आज  सुबह -सुबह चाय के साथ अखवार पढ़ते हुए मैंने बिना किसी भूमिका के ही  अपने १२ बर्षीय  नाती अक्षत से  दनादन तीन  सवाल पूंछ लिए।
                    पहला सवाल :-   उस  भारतीय का नाम बताओ - जिसे मलाला युसूफ जई  के साथ संयक्त रूप से आज  ओस्लो में नोबल पुरस्कार  मिला है ?

  उसका जबाब :- अरे आपको नहीं मालूम  ? वो तो अपने एमपी के ही कैलाश सत्यार्थी  अंकल हैं  न !
 मैंने आश्चर्य से पूंछ लिया तुम्हें कैसे मालूम ? उसका जबाब था  इसमें क्या मुश्किल -आपके हाथ में  जो पेपर है उसके सबसे ऊपर उनका फोटो दिया है और नाम भी लिखा है।


 दूसरा सवाल :- रूस का राष्ट्रपति कौन है ?  उसका  जबाब था 'पुतिन' .  मैंने आश्चर्य से  पूँछा  अरे वाह तुम्हें कैसे मालूम ? उसका जबाब था टीवी पर दो दिन से  यही तो आ रहा है , हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी भी साथ में हैं।

[ ये तो नहीं बता पायेगा यह सोचते हुए ] मैंने  तीसरा सवाल किया  :- इस बार २६ जनवरी  गणतंत्र दिवस को लालकिले के  ध्वजारोहण समारोह में  मुख्य अतिथि कौन होगा ?

  नाती का  जबाब था :- ओसामा ! मैंने कहा वो कौन है ? उसका जबाब था - प्रेसिडेंट  ऑफ़ अमेरिका ।

 बहरहाल  मैंने उसकी भूल सुधारते  हुए  उसे बताया कि बेटा वो  ओसामा नहीं 'ओबामा' हैं  जो अमेरिका के राष्ट्रपति  हैं !   'ओसामा जी' तो कबके जन्नतनशीन  हो चुके हैं । पुनः कौतूहलवश मैंने पूंछा लिया कि  बेटा  तुम पढाई में तो बहुत फिसड्डी हो और ये दुनिया भर की फ़ालतू बातें कैसे  जानते हो ? उसका उत्तर लाजबाब था ;- हर चैनल पर  रात  -दिन यही तो दिखाया - बताया जा रहा है। मैंने सूचना सम्पर्क क्रान्ति  का शुक्रिया अदा करते हुए  नाती को अपना होम वर्क करने के निर्देश दिए और खुद टीवी के सामने जा डटा। टीवी चैनलों पर नजर दौड़ाई तो  एक  विचित्र किन्तु सत्य खबर   ने अचम्भित कर दिया। खबर यह थी कि  किसीलोकल चैनल के   मजाकिया  किस्म  के खोजी पत्रकार ने मध्यप्रदेश सरकार के  कुछ मंत्रियों और भाजपा विधायकों  की इज्जत को तार-तार कर दिया है। पत्रकार ने सेकेट्रिएट और वल्ल्भभवन  परिसर में मंत्रियों,विधायकों और नेताओं  से इस नोबल प्राइज बाबत पूंछ लिया । इन नेताओं का आईक्यू , सामान्य ज्ञान और परम्परागत भड़ैती  की बानगी   देखकर मैं   दंग  रह गया। न्यूज - पत्रकार  ने बड़े ही चालाकीपूर्ण  अंदाज में   मंत्री  श्रीमती कुसुम मेहंदेले से जब पूंछा कि  'कैलाश जी  ' को नोबल मिला है ,आप कैसा महसूस कर रहीं हैं ?  मंत्री महोदया   ने  अपने मंत्रिमंडलीय साथी 'कैलाश विजयवर्गीय की शान में विजयवर्गीय चालीसा पढ़ डाला । जब पत्रकार ने  बताया  कि  उसका आशय किसी और 'कैलाश ' से है  जो 'सत्यार्थी' है और बच्चों को शोषण से मुक्त कराने के लिए ३० साल से संघर्ष कर रहा है , तो उन मंत्री महोदय ने इस संदर्भ में अपनी अनभिग्यता जताई।गनीमत यह रही कि  इस अज्ञानता और विवेकहीनता में  किसी 'विपक्षी' का हाथ  नहीं पाया गया।  इस पत्रकार ने किसी  दूसरे मंत्री श्री ज्ञानसिंह जी से भी यही प्रश्न किया। वे  कैलाश नाम सुनते ही उन पर  हमारे  प्रख्यात  इंदौरी शान,दो  -नंबरी  कद्दावर भाजपाई नेता और भावी मुख्यमंत्री कैलाश विजयवर्गीय की 'सवारी ' आ गई। उनका जबाब बहुत मजेदार था। ' कैलाश जी  बहुत  मेहनती हैं ,उन्होंने  नगरीय और स्थानीय प्रशासन मंत्री  की हैसियत से प्रदेश के कई शहरों में बड़े-बड़े काम किये हैं। हरियाणा की जीत का श्रेय भी उन्ही को है। इत्यादि,,, इत्यादि।  शायद  इस तरह के जबाब सुनने के आदि पत्रकार  ने जितने भी  विधायकों और नेताओं से  'कैलाश जी' के नोबल प्राप्त करने  बाबत सवाल किया ,लगभग सभी ने कैलाश विजयवर्गीय की शान में  रिदम के साथ  सस्वर चरण वंदना के गीत गा  दिए।  वेशक कैलाश विजयवर्गीय  हैं भी  इस काबिल।  कि  वे चाहें तो नोबल उन्हें भी मिल सकता है।  वैसे भी ये नोबल  पुरुष्कार  वैश्विक राजनीती का ही  प्रतिफल है। नोबल कमिटी ने शांतिस्वरूप जो  नोबल पुरुष्कार -कैलाश और  मलाला को दिया है  वह सही पात्रों को दिया गया है. किन्तु कमिटी के ये उदगार कि  'एक  भारतीय ,एक पाकिस्तानी  ,एक हिन्दू -एक मुस्लिम ,एक किशोरी और एक बृद्ध ,एक बच्चों को शोषण  से मुक्ति के लिए -एक साक्षरता के लिए नोबल के हकदार हैं '  इस शब्दावली में भारत को  जबरिया  पाकिस्तान के समकक्ष खड़ा करने की जो मंशा छिपी है वो  उचित नहीं है।  कहाँ विराट भारतीय लोकतंत्र और कहाँ पाकिस्तानी हिंसक आतंकवाद? 'कहु रहीम कैसे बने ,केर -बेर को संग ' !
                    बहरहाल इस विमर्श का आशय हमारे उन नेताओं की असलियत बताना है जो जनता  को मूर्ख बनाकर सत्ता में पहुँच जाया करते हैं।  अपने देश को  नोबल पुरुष्कार  से गौरवान्वित करने वाले 'कैलाश सत्यार्थी 'का नाम जो नेता  नहीं जानते हों  उन की बुद्धि पर क्या ख़ाक वक्त जाय किया जाये.  ,क्या ये  भारतीय संस्कृति  के रक्षक  कहलाने के हकदार हैं ? क्या ये  प्रदेश का शासन चलाने के लिए उपयुक्त हैं ? जिन्हें आज की सबसे  महान राष्ट्रीय उपलब्धि के बारे में रंचमात्र ज्ञान नहीं  वे  क्या खाक राष्ट्रवादी हैं ? ये निरे स्वार्थी, पदलोलुप और भृष्टाचारी नेता कदापि सम्मान या सत्ता के हकदार नहीं हैं?
                   

    श्रीराम तिवारी

 

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