बुधवार, 17 दिसंबर 2014

जय आनंदम जय आनंदम !

    


     जीवन में नैराश्य सताये,

     चारों  ओर  अँधेरा   छाए।

     जब कोई युक्ति सूझ पड़े न ,

    तब  आनंदम  राह दिखाए।।


    सकल कलामय ये आनंदम ,

     वरिष्ठ जनों का है आनंदम।

     सुख-दुःख में  हम सदा एकजुट ,

      लक्ष्य कुशल मंगल  आनंदम।।



     रखो  न  दुर्बलता कुछ मन में ,

     करो संचरित शक्ति  तन में।

     जीवन के उत्तरार्ध हमें यह ,

     पाठ पढ़ाता  है आनंदम।।


       सामाजिक समरसता देता ,

       यहाँ  न  कोई  अफसर  नेता।

       सुधीजनों के कर कमलों में ,

       सदा सुरक्षित  यह आनंदम।।

   
      भजन गीत  संगीत कला है  ,

      साहित्यिक सृजन  क्षमता  है ।

      प्रतिभा को सम्मान दिलाता ,

     यह  आनंदम  यह  आनंदम।।


       शोक मोह संताप मिटाये ,

        एकाकीपन दूर भगाये ।

        इसीलिये मैं दिल से कहता ,

       जय आनंदम जय आनंदम।।


                      श्रीराम तिवारी

   

    
 

    

  
     

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