जीवन में नैराश्य सताये,
चारों ओर अँधेरा छाए।
जब कोई युक्ति सूझ पड़े न ,
तब आनंदम राह दिखाए।।
सकल कलामय ये आनंदम ,
वरिष्ठ जनों का है आनंदम।
सुख-दुःख में हम सदा एकजुट ,
लक्ष्य कुशल मंगल आनंदम।।
रखो न दुर्बलता कुछ मन में ,
करो संचरित शक्ति तन में।
जीवन के उत्तरार्ध हमें यह ,
पाठ पढ़ाता है आनंदम।।
सामाजिक समरसता देता ,
यहाँ न कोई अफसर नेता।
सुधीजनों के कर कमलों में ,
सदा सुरक्षित यह आनंदम।।
भजन गीत संगीत कला है ,
साहित्यिक सृजन क्षमता है ।
प्रतिभा को सम्मान दिलाता ,
यह आनंदम यह आनंदम।।
शोक मोह संताप मिटाये ,
एकाकीपन दूर भगाये ।
इसीलिये मैं दिल से कहता ,
जय आनंदम जय आनंदम।।
श्रीराम तिवारी
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