मैं भाजपा विरोधी हूँ। मैं संघ समर्थक कतई नहीं हूँ। मैं भाजपा भी विरोधी था,लेकिन अब नहीं हूँ। सवाल उठता है की ऐंसा क्यों ? वेशक भारत मैं कुछ समस्याएँ यथावत मौजूद हैं। वेरोजगारी,आतंकवाद,भॄस्टाचार,अफसरशाही और चंद लोगों का जल -जंगल -जमीन पर कब्जा नाकाबिले बर्दास्त हैं! इसके बावजूद जब कोरोना संकट आया तब न केवल भारत बल्कि सारी दुनिया को वेक्सीन देकर किसने बचाया ? जब रूस उक्रेन युद्ध के कारण सारी दुनिया के अन्य देश खस्ताहाल हो गए,तब अमरीकी प्रतिबंध के बावजूद रूस से करोड़ों गेलन पेट्रोलियम सस्ते में खरीदकर भारत कौन लाया ? जब सारे दुनिया के अधिकांश देश दिवालिया हो रह हैं ,तब भारत की अर्थव्यवस्था कुलाचे मारती हुई आगे बढ़ रही हैं .विश्व बैंक,आईएमएफ और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने एकमत से स्वीकार किया है कि भारत तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था का अलंवरदार है ,जोकि विश्व की पांचवीं अर्थव्यवस्था बन चुका है। वीटो धारक बदमाश चीन या अन्य बड़े देश भारत को एक महाशक्ति के रूप में मान्यता दें या न दें किन्तु भारत आज एक महाशक्ति है. इसका श्रेय पी एम नरेन्द्र,गृह मंत्री अमित शाह,विदेश मंत्री एस जयशंकर,और अश्वनी वैष्णव,सीतारमण जैसे अन्य काबीना साथियों को जाता है!
चूँकि मुझे पूँजीवाद ,दक्षिणपंथ और मोदी सरकार के विरोध में लिखते लिखते एक नकारात्मक ऊर्जा ने बुरी तरह जकड़ लिया था। अचानक एक दिन अवसादग्रस्त होकर जब मैं अपने फेमली डॉक्टर से मिला तो उन्होंने सुझाव दिया कि मैं न्यूरोलॉजिस्ट से सम्पर्क करूं। न्यूरोलॉजिस्ट ने प्रिस्क्रिप्शन लिखी और सुझाव दिया कि लगातार एक हीआलोचनात्मक धुन बजाते रहने से श्रोता बोर हो जाते हैं, एक ही पकवान परोसे जाने पर आप घर में भी नाराज होने लगते हैं। सोशल मीडिया पर महंगाई वेरोजगारी प्रधानमंन्त्री की निंदा इत्यादि नकारात्मक कंटेंट लगातार पेलते रहने से पाठक या फॉलोवर्स ऊबने लगते हैं। चूँकि मैं दक्षिण पंथी भेड़िआ धसान के साथ नहीं हूँ, और न मैं ऐंसा दावा करता हूँ कि मैं वामपंथ का अंध समर्थक हूँ। किन्तु जब निष्पक्ष भाव से सारी दुनिआ पर नजर डालता हूँ, तो पाता हूँ कि वर्तमान में सारी दुनिया के सापेक्ष, भारत में कुछ ठीकठाक ही चल रहा है। बरबस ही मुँह से निकल पड़ता है की :-
सरे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ता हमारा>>>>>>
दुनिया के तमाम विकसित देशों के सापेक्ष भारत में आज ज्यादा अमन शांति है। इससे पहले सोशल मीडिआ पर मैंने मोदी सरकार की बाकायदा पानी पी पी कर आलोचना की है,किन्तु एक दिन जब मैंने अपने पैतृक गाँव के एक रिस्तेदार के लड़के से फोन पर बातचीत की और में गाँव के हालचाल पूछे तो उस युवक ने मेरे ज्ञान चक्षु खोल दिये, उस युवक ने मेरे हर वाक्य के उत्तर में बार बार एक ही जबाब दिया "सब ठीक है " मैंने समझा की यह युवक किसी कारण से जल्दी मैं है,अतः मुझसे ज्यादा बातचीत में न उलझते हुए पीछा छुड़ाना चाहता है। इसीलिये मेरी हर बात पर *सब ठीक है * का ताला लगाना चाहता है। किन्तु जब मैंने खुलकर महंगाई ,वेरोजगारी ,गाँव की गरीबी और खास तौर से डीजल पेट्रोल बिजली की मंहगाई पर मोदी सरकार की बुराई की तो गाँव के उस वयस्क अर्धशिक्षित ने मेरा सारा वामपंथी ज्ञान फींच डाला। मेरे द्वारा मोदी सरकार की कटु आलोचना पर गाँव के उस मेहनती ऊर्जावान युवक ने कहा:-
अपना गाँव अब वो गाँव नहीं रहा ,जो आप समझ रहे हैं । प्रधानमंत्री मोदी जी की कृपा से यहाँ सैकड़ों दलित परिवार अब पक्के मकानों में रहते हैं। वेशक सवर्ण परिवार अभी भी कच्चे मकानों में रहते हैं ,किन्तु हरिजन आदिवासी समाज का हर मकान पक्का है और हर घर में बिजली मुफ्त है. उज्ज्वला योजना का लाभ सभी गरीबों को दिया जा रहा है। सिचाई योजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है। इस छोटे से गाँव में कालेज की इमारत बनकर तैयार है.हर घर में सब्जी लगी है ,हर घर में दूध के लिए गायें -भैंस हैं. कम व्याज पर बैंकों से कर्ज मिलने के कारण ,अधिकांश छोटे बड़े किसानों के पास टेक्टर थिरेसर और कृषि के आधुनिक यंत्र पहुँच चुके हैं। इस सबके बावजूद प्रधान्मन्त्री पेंशन योजना,आयुष्मान योजना,वृद्धावस्था पेंशन योजना,मुख्यमन्त्री कन्या सहायता योजना, मनरेगा योजना मौजूद हैं। और यदि किसी को यह सब नसीब नहीं तो प्रधानमंत्री जी हर महीने मुफ्त गेहूं चावल भरपूर दे रहे हैं। उस युवक ने अंत में जोर देकर उत्साह से कहा,कि यह सिर्फ अपने गाँव की ही नहीं पूरे देश की कहानी है।
जब मैंने उसके कथन का प्रतिवाद किया और कहा कि मोदीजी और अडानी की दोस्ती ने बैंकों को बर्बाद कर डाला हैं,इसके बारे में तुम्हारा क्या कहना है ? इसके जबाब में वह ग्रामीण युवक बोला :- माफ़ करना चाचा जी मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि आप इतने उम्र दराज हैं,आपको मालूम है कि अपने देश में कानून है,यदि किसी को लगता है की मोदी जी ने या अडानी ने कुछ गलत किया है,तो वह कोर्ट में जाए, या आगामी आम चुनाव की तैयारी करे,वहां दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा । बहरहाल आपको या किसी को मोदी जी या उनकी सरकार से शिकायत है तो यहाँ आकर गांव के एक एक नागरिक से बात करे और मेरे कहे की तस्दीक कर ले। पता नहीं आप जैसे पढ़े लिखे बुजुर्ग वुद्धिजीवियों को मोदी जी से इतनी नफरत क्यों है ? आप खुद भी हर महीने केंद्र सरकार से भरपूर पेंशन पाते हैं ! मुफ्त मेडिकल सुविधा है,चाचा जी यह सब होते हुए भी आप पढ़े लिखे वुद्धिजीवी लोग पता नहीं क्या चाहते हैं ? आपको विदित हो कि यह सिर्फ अपने गाँव में ही नहीं, बल्कि हर गाँव और कस्वे की यही कहानी है। भारत के हर गाँव का तेजी से विकास हो रहा है ।
दरसल हम गाँव के लोग तो मोदी जी को आजीवन प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं। अंत में उस ग्रामीण शिक्षित युवक ने एक डायलॉग मारा और फोन बंद कर दिया। उसका वह डायलॉग मैं ठीक से नहीं सुन पाया। शायद वह कह रहा था ... "मोदी जी और भाजपा पर मुझे फक्र है क्यों कि आज दुनिया में मोदी जैसा बाकई की नेता नहीं।"
मेरा भारत महान।
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