जब रोम जल रहा था, पीट्सबर्ग से लेकर डायमंड हार्वर तक और हिरोशिमा से लेकर नागासाकी तक परमाणुविक आग की लपटें आसमान छू रहीं थीं ,तब यूरोप -अरब के धर्म-मजहब क्या कर रहे थे ?
जब कोरोना वायरस कोविड -19 तूफानी गति से करोड़ों को काल के गाल में धकेल रहा था, तब गॉड,अल्लाह, अहूरमज्द,ईश्वर और आस्तिकता क्या सो रहे थे ? शायद इन जघन्य घटनाओं से प्रेरित होकर ही विज्ञान परस्त प्रगतिशील लेखकों ने मार्क्स के 'धर्म एक अफीम है' वाले सिद्धांत में नास्तिकता का प्रत्यारोपण कर डाला।
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