चाहे रामचरितमानस हो,गुरुग्ंथ साहब हो, गीता या पुराण हो,चाहे बाईबिल या कुरान हो या अन्य किसी धर्म,पंथ, मजहब की पवित्र पुस्तक हो,लोकतंत्र में कोई भी आलोचना से परे नही है ! किंतु कोई राजनैतिक पार्टी या उसका नेता यदि किसी धर्म की पुस्तक जलाता है, अपमान करता है तो उस पार्टी पर प्रतिबंध लगना चाहिये और धर्मग्रन्थ जलाने के लिये प्रेरित करने वाले कमीनों पर राजद्रोह का मुक़दमा चलाया जाना चाहिए!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें