रविवार, 26 फ़रवरी 2023

दो कौड़ी की शायरी

 जो कवि, लेखक,पत्रकार, साहित्यकार अपने राष्ट्र की संप्रभुता, एकता और अखंडता पर नहीं लिखता, वो व्यर्थ ही अपना समय और कागज खराब करता रहता है। भारत के पड़ोसी देश हमेशा इस कोशिश में लगे रहते हैं कि किस तरीके अलगाववाद और आतंकवाद को बढ़ावा देकर भारत को कमजोर किया जाए।इस विषय पर न लिखकर कुछ लोग फोकट के जुमले और चुटकले सुनाकर मंचीय कवि बन जाते हैं।

अधिकांश शायर जो थोड़ी बहुत उर्दू समझते हैं,वे अपने बाप दादों की आधी अधूरी जूनी पुरानी व अप्रकाशित शायरी की धूल झाड़कर जिंदगी भर अपने नाम से सुनाते रहे।
यूक्रेन की सरहदों पर तनाव है क्या?
कुछ पता करो, यूक्रेन में चुनाव है क्या??
:-आफत इंदौरी उर्फ सूतियानंदन
इसी तरह की दो दो कौड़ी की शायरी सुनाकर अधकचरे साम्प्रदायिक शायरों ने न केवल भारतीय शोषित समाज का बल्कि अल्पसंख्यक समाज का भी अहित किया है! इन्होंने मुख्य मुद्दों से बाक़ी समाज का ध्यान हटाया है:-
आप का जाति, धर्म, समाज, घर, नौकरी, सड़क, बिजली, पानी, ज़मीन आदि तभी काम दे सकती है जब आपका राष्ट्र सुरक्षित हो. हारे हुए नागरिकों और शरणार्थियों की कोई जात नहीं होती.
राष्ट्र को प्रथम एवं आख़िरी प्राथमिकता बनाइये!!🌹

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें