रविवार, 26 फ़रवरी 2023

कभी साथ बैठो..

कभी साथ बैठो *

तो कहूँ कि दर्द क्या है...*

*अब यूँ दूर से पूछोगे..*
*तो ख़ैरियत ही कहेंगे...*
*2.*
*सुख मेरा काँच सा था..*
*न जाने कितनों को चुभ गया..!*
*3.*
*आईना आज फिर*
*रिश्वत लेता पकड़ा गया..*
*दिल में दर्द था और चेहरा*
*हंसता हुआ पकड़ा गया...*
*4.*
*वक्त, ऐतबार और इज्जत,*
*ऐसे परिंदे हैं..*
*जो एक बार उड़ जायें*
*तो वापस नहीं आते...*
*5.*
*दुनिया तो एक ही है,*
*फिर भी सबकी अलग है...*
*6.*
*दरख्तों से रिश्तों का*
*हुनर सीख लो मेरे दोस्त..*
*जब जड़ों में ज़ख्म लगते हैं,*
*तो टहनियाँ भी सूख जाती हैं*
*7.*
*कुछ रिश्ते हैं,*
*...इसलिये चुप हैं ।*
*कुछ चुप हैं,*
*...इसलिये रिश्ते हैं ।।*
*8*.
*मोहब्बत और मौत की*
*पसंद तो देखिए..*
*एक को दिल चाहिए,*
*और दूसरे को धड़कन...*
*9.*
*जब जब तुम्हारा हौसला*
*आसमान में जायेगा..*
*सावधान, तब तब कोई*
*पंख काटने जरूर आयेगा...*
*10.*
*हज़ार जवाबों से*
*अच्छी है ख़ामोशी साहेब..*
*ना जाने कितने सवालों की*
*आबरू तो रखती है...*

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