माल समेटकर भागा माल्या ,बैंक अजब हैरानी में।
मंद -मंद मुस्कराए मंत्रीवर , भैंस गयी जब पानी में।।
सुरा सुंदरी आई पी एल , राजनीति की थाली में।
ईपीएफ और वेतन गायब ,किंगफिशर बदहाली में।।
काले धन वालों की सूरत , छिपी सुरा की प्याली में।
आरक्षण का अजगर बैठा , वोट कबाडू नाली में।।
लुटिया डूबी लोकतंत्र की , दल -दल की नादानी में।
आतंकी उन्माद पसरता , मजहब की शैतानी में।।
कॉरपोरेट पूँजी की जय-जय , ग्लोबल कारस्तानी में।
निर्धन -निबल लड़े आपस में ,धर्म -जाति की घानी में।
संघर्षों की सही दिशा है ,भगतसिंह की वाणी में।
अमर शहीदों का बलिदान, भारत अमर कहानी में ।।
श्रीराम तिवारी
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