गुरुवार, 10 मार्च 2016

हाँ -हाँ !भारत दुर्दशा देखि न जाय ! श्रीराम तिवारी



   मजेदार खबर है कि विश्व कप में भाग लेने के लिए भारत आने वाली ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट टीम ने भारतीय आयोजकों से दाल,रायता ,चटनी,रोटी  की विशेष फरमायश की है। इसके अलावा उनकी  भारत से और कुछ विशेष माँग नहीं है। सुरक्षा का तो उन्होंने जिक्र भी नहीं किया। भारत के लिए यह खबर गर्व करने लायक है।

क्रिकेट जगत में इन दिनों दूसरी खबर भी है जो भारत के लिए बेहद शर्मनाक है। जब से  भारत सरकार ने  पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने की भारत में मंजूरी दी है तभी से पाकिस्तान  क्रिकेट बोर्ड [पीसीबी] और पाकिस्तान सरकार ने भारत को बदनाम करने का षड्यंत्र चला रखा है। पीसीबी और पाकिस्तान सरकार को अच्छी तरह मालूम है कि उनके खिलाडियों को भारत में कोई खतरा नहीं है।  बल्कि खतरा तो भारत की युवा  गर्ल्स खिलाडियों और फिल्म अभिनेत्रियों को है ,जिन्हे  बहला -फुसलाकर पाकिस्तानी खिलाड़ी,प्यार-मोहब्बत और शादी के बहाने पाकिस्तान उडा  ले जाते हैं।

पहले धर्मशाला और अब  कोलकाता में ये पाकिस्तानी जासूस सुरक्षा जांच के बहाने भारत  भृमण पर हैं। इस 'खोजी टीम ' का कुटिल इरादा सामान्य बुद्धि का हर  व्यक्ति  जानता है ,किन्तु हमारी तथाकथित  'देशभक्त'  'राष्ट्रवादी'सरकार कुछ नहीं  जानती। हमारे लोकप्रिय पीएम को तो शायद इस षड्यंत्र का कुछ  भी अता -पता नहीं है। शिवसेना वाले ,कांग्रेस वाले सब कह रहे हैं कि  पाकिस्तान क्रिकेट टीम को भारत से नहीं बल्कि भारत को ही  पाकिस्तान से खतरा है ! दरसल पाकिस्तान द्वारा अंतरार्ष्ट्रीय मंच पर क्रिकेट कूटनीति के बहाने भारत को बदनाम किया जा रहा है। इस क्रिकेट विमर्श के बहाने  वह दुनिया को बताना चाहता है कि  देखो दुनिया वालो !  भारत अब शांति का मसीहा  नहीं है ! यहाँ भारत में  तो क्रिकेट खिलाड़ी भी सुरक्षित  नहीं हैं !

हम सभी जानते हैं कि  भारत में दुनिया के किसी भी खिलाड़ी  या टीम को कोई खतरा नहीं है। पाकिस्तान की टीम को तो  भारत में बिलकुल  खतरा नहीं। क्योंकि जिनसे खतरा संभावित हो सकता था वे तो सत्ता में हैं और खुद ही क्रिकेट खेलने के लिए  पाकिस्तान के आगे ओंधे हुए जा रहे हैं। ये कैसा राष्ट्रवाद है  ?  खुद के बच्चों को  [जेएनयू छात्रों] को 'देशद्रोही 'बता रहे हैं ,और जिनसे देश को वास्तव में खतरा है उन्हें होटलों में मुर्ग-मुसल्ल्म ,   चिकन -बिरयानी खिलाई जा रही है  ?  वाह रे अंधेरगर्दी ! कहाँ हो भारतेंदु हरिश्चंद ?  हाँ -हाँ !भारत दुर्दशा देखि न जाय ! श्रीराम तिवारी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें