मंगलवार, 29 मार्च 2011

क्रिकेट के बहाने भारत पाकिस्तान में अंध-राष्ट्रवाद परवान चढ़ रहा है,,,,,,,,

      कल ३० मार्च को  भारत और पकिस्तान का सेमीफ़ाइनल क्रिकेट मैच  मोहाली में खेला जाने वाला है. दोनों देशों की सरकारें,आम-जनता,क्रिकेट टीमें,समग्र मीडिया,सटोरिये और क्रिकेट से बावस्ता तमाम स्टेक-होल्डर्स की आज की रात बड़ी बेचेनी से गुजरने वाली है.हालाँकि यह कोई नया वाकया नहीं है,यह कोई अनहोनी भी नहीं है.पहले भी भारत-पकिस्तान कई बार इस दौर से गुजर चुके हैं.
         दोनों मुल्कों के क्रिकेट प्रेमी अपने -अपने{यदि इश्वर एक नहीं है तो} उपास्य देवताओं से मिन्नतें और प्रार्थना कर रहें हैं, मैं  भी तहे दिल से चाहता हूँ की इंडिया ही जीते.यह न केवल मेरी व्यक्तिगत संतुष्टि के लिए बल्कि दोनों मुल्कों की आवाम के हित में और क्रिकेट के हित होगा.
          कल भारतीय क्रिकेट टीम जीती तो क्या होगा?और यदि पाकिस्तान टीम जीती तो क्या होगा?
मैं  क्यों चाहता हूँ की भारत ही जीते? क्योंकि फ़ाइनल मुंबई में होने जा रहा है.मुंबई में विगत ४५ साल से वही होता है जो ठाकरे परिवार और शिवसेना चाहती है.यदि बाई चांस पाकिस्तान जीतता है तो भारत फ़ाइनल खेलने से तो वंचित  होगा ही बल्कि पाकिस्तानी टीम मुंबई में फ़ाइनल के लिए अस्वीकार्य जैसी होकर रह जाएगी. उस सूरत में गेंती-फावड़े लेकर शिव सैनिक  तैयार खड़े हैं.हर किस्म की विकेट मिनटों में खोदने की प्रेक्टिस उन्हें है.मुंबई को ठुप्प करना उनका बाएं हाथ का खेल है ही. पाकिस्तानी क्रिकेट टीम यदि फ़ाइनल में पहुँचती है तो यह भारतीय क्रिकेट टीम की हार होगी न की भारत की. किन्तु शिवसेना ने और अंध-राष्ट्रवादी मीडिया ने क्रिकेट के खेल को राष्ट्रों की जंग बना डाला है ,अतएव वे क्रिकेट टीम की हार को देश की हार निरुपित करते हैं.हालाँकि यह शुरुआत पाकिस्तान से ही हुई थी ,किन्तु अब ये हालत है की पाकिस्तान की कबड्डी टीम भी मातोश्री के अगल-बगल जीत कर चली जाये तो फर्क पड़ता है.अतः पाकिस्तान  की हार में ही सबकी भलाई है.यदि विश्वकप  आयोजन शांतिपूर्वक और ससम्मान होते देखने की तमन्ना है तो आइये दुआ करें की भारतीय क्रिकेट टीम को मोहाली के मैदान मैं विजय श्री अवश्य मिले.
     भारतीय और पाकिस्तानी  खिलाड़ी बेहद दबाव  में यह रात गुजारेंगे.कल दोनों टीमें अपने सर्वोच्च शक्ति और कौशल का प्रदर्शन करेंगे ही,जो क्रिकेट में वास्तविक दिलचस्पी रखते हैं उनसे निवेदन है कि क्रिकेट कि हार-जीत पर देश कि आन-बान-शान को दाव पर न लगाकर केवल और केवल विशुद्ध क्रिकेट का आनंद लें. पाकिस्तान  कि आवाम को भी यही पैगाम हमारा है कि जीतें तो इतरायें न और हारें तो खाजवायें न. खेल को दोनों देशों के बीच मैत्री और भाईचारे का माध्यम बनाकर दोनों टीमों को क्रिकेट खेलने दें उनसे जंग कि आरजू न करें.                                       _ श्रीराम तिवारी

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