रविवार, 13 मार्च 2011

मध्यप्रदेश भाजपा कार्य समिति उवाच -सिंहासन खाली करो ,सुषमा आती है...

  मध्यप्रदेश  भाजपा की  दो दिवसीय कार्य समिति बैठक उज्जेन में संपन्न हुई.इस बैठक के मुख्य सूत्रधार व् शिल्पकार रहे भाजपा के राष्ट्रीय महा सचिव और मध्यप्रदेश प्रभारी श्री अनंतकुमार ने प्रेस को जो बताया उससे से न केवल आम भाजपाई बल्कि नेत्रत्वकारीभूमिका अदा करने वाले भी चिंतनीय मुद्रा धारण किये हुए हैं.
                                                     उज्जैन में संपन्न प्रादेशिक कार्यसमिति के कुछ निष्कर्ष इस प्रकार हैं. "केंद्र सरकार का संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन टूट की कगार पर है, तमिलनाडु ,केरल ,बंगाल ,असम और पांडिचेरी के चुनावो में कांग्रेस और उसके साथियों की पराजय होने जा रही है,देश को शीघ्र ही मध्यावधि चुनाव का सामना करना होगा,भाजपा ने तय किया है कि अगला आम चुनाव सुषमा जी के नेतृत्व में ही लड़ा जायेगा.मध्यप्रदेश से २९ सीटें जीतना जरुरी है.'
    श्री अनंत कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि भाजपा कि ताकत देश भर में तेजी से बढ़ रही है ,मध्यप्रदेश में कांग्रेस लगभग खत्म हो चुकी है बिहार में हमने शानदार प्रदर्शन किया.मध्यप्रदेश में सुष्माजी के नेत्रत्व में हम २९ सीटों पर विजयी होंगे.
        अनंतकुमार के उदगार जिनको बैचेन कर रहे थे वे तमाम मंत्री और संगठन पदाधिकरी उस मंच पर इस परिद्रश्य के
 साक्षी हैं. किसी भी नेता या वक्ता ने श्री लाल कृष्ण आडवानी ,अटलजी ,मुरलीमनोहर जोशी या जेटली का नाम नहीं लिया .क्या इन सभी दिग्गजों
को चूका हुआकारतूस  ,जनाधारविहीन और सत्ता प्राप्ति हेतु अशक्य मानकर यों दुसरे विकल्प गढ़े जा रहे हैं मानों - 
 "देखहिं चराचर नारिमय जे राम मय देखत रहे" रामचरित मानस के इस उद्धरण में राम का प्रयोग मेने ब्रह्म कि जगह किया है क्योंकि भाजपा ही नहीं पूरा हिन्दू समाज राम को ब्रह्म के रूप में देखता है ,अब कांग्रेसी हिन्दू ,वाम हिन्दू ,समाजवादी हिन्दू ,पिछड़ा हिन्दू ,दलित हिन्दू और प्रच्छन्न हिन्दू तो फिर भी अपने -अपने नेत्रत्व में आश्था लिए अडिग है ,सवाल तो सत्ता प्राप्ति कि सम्भावनाओं के मद्देनजर भाजपा में शीर्शष्ठ नेत्रत्व में मन मुटाव का है?जो लोग  श्रीराम को छोड़ ,उनके परम अनुयायिओं-आडवानी ,उमा ,मुरली मनोहर और संघ प्रमुख को छोड़ सुषमाजी का स्तुति गान कर आगामी  केन्द्रीय मंत्री  परिषद् में एडवांस बुकिंग कराना चाहते हैं वे  चीख -चीख कर कह रहे हैं कि '"दिल्ली कि सत्ता का रास्ता भोपाल से होकर जाता है" ,चूँकि सुषमाजी मध्यप्रदेश से सांसद हैं ,विपक्ष कि नेता हैं,उद्भट बकता हैं,दूसरे भाजपाइयों कि तरह भृष्ट अरब पति {पत्नी} नहीं हैं ,अभी -अभी सी वी सी मामले में सरकार और प्रधान मंत्री का फलूदा बनाने में उनकी भी भूमिका रही है ,वे समाजवादी पृष्ठभूमि से भाजपा में आयीं हैं उनके व्यक्तित्व और नेत्रत्व से भाजपा और भारत दोनों को फायदा होगा.किन्तु सवाल तो अब भी अपनी जगह स्टैंड कर रहा है कि यदि ये ही करना था-यानि विकाश वादी सोच और धर्मनिरपेक्षता की राह ही चलाना था और  सुषमा जैसे उदार हिदुत्व वादियों  को  ही यदि आगे बढ़ाना था -जो की भाजपा में व्यक्तिगत तौर से ;पहले से ही बहुतायत में मौजूद थे,  तो ये  -रथयात्राएं ,त्रिशूल बांटना,मस्जिद बनाम मंदिर ढहाना,गोधरा कराना,गुजरात में हिंसा और मुंबई दिल्ली समेत सारे देश में कट्टरवादी हमलों का उत्प्रेरक बनना क्या जरुरी था? कहा जा सकता है कि इसका भाजपा ,संघ परिवार और हिन्दुओं से कोई लेना देना नहीं. ये तो सब पाकिस्तान परस्तों और भारत के दुश्मनों की काली करतूतें हैं.तब भी प्रश्न और उलझता जायेगा कि कुछ खास नेताओं और नेत्रियों को साम्प्रदायिकता के मोर्चे पर भेजकर बलि का बकरा क्यों  बनाया जाता रहा ? और अब सत्ता प्राप्ति में उनको बाधा मान  कर किनारे क्यों  किया जा रहा है?  श्रीराम तिवारी ..... 

1 टिप्पणी:

  1. bhajpa ka sheersh netritv to sushmajee ko khadde line lagane kee taiyaree kar raha hai.C.V.C.par jaitly sa.ke bayan ko gadkaree sa. ka samarthan to yahee darshata hai jise sushma jee ne samapt kaha jaitly sa. chaloo rakhe hain.

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