लगभग एक तिहाई जापान तहस नहस होचूका है,सारी दुनिया से और भारतसे भीमदद के हाथ बढे हैं .इंसानी
जज्वे ने अतीत में भी ऐसीं अनेक आपदाओं का सामना किया है.जापानी जनता तो प्राकृतिक झंझावातों को झेलने की आदी सी हो चुकी है.इस अवसर पर जबकि जापान में रेलों सड़कों टेलिफोन
तथा अस्पतालों की स्थिति ही संकटापन्न है तब दुनिया के तमाम जन-गणों की यह नैतिक और मानवीय जिमेदारी है की जापानी जनता का होसला बढ़ाएं और हर संभव मदद करें.
इस प्राकृतिक आपदा के शिकार हुए दिवंगतों को विनम्र श्रधांजलि अर्पित करता हूँ.
श्रीराम तिवारी
जापानी जनता के साथ सहानुभूति भी है और उन्हें मदद पहुंचाने की बात भी सही है.इस वक्त मानवीयता का तकाजा भी यही है.
जवाब देंहटाएंपरन्तु विचारणीय है की जो ओजोन का छिद्र अमेरिका के आकाश पर था वह तो उसने अग्नहोत्र विश्वविद्यालय में निरंतर हवं करके भर लिया तथा उसे दक्षिण पूर्व एशिया की तरफ खिसका दिया जो २००४ के बाद फिर इस छेत्र की तबाही का कारन बना है.