एक हैं कोई शख्स जबरदस्त , शाहिद उस्मान बलवा .
चोरी -चोरी सीना -जोरी , स्पेक्ट्रम ले गया ठलवा..
कभी एक अंटी न थी जेब में , अब खा रहा है हलवा .
पूँजी के लुटेरों ने दिखाया , भृष्टाचार का जलवा ..
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आजकल मीडिया में कुख्यात है ,
हसन अली खां घोड़ेवाला.
अरे ये तो राजा का भी बाप निकला ,
अरबों का करे घोटाला ..
सत्ता जिसकी करे चाकरी ,
काले धन का करे हवाला .
यदि न्यायपालिका सजग न होती ,
तो कोई नहीं था टोकनेवाला ..
हतभागी ये मंत्री संतरी ,
चोर -उचक्के जीजा -साला .
मुल्क के मालिक हुए भिखारी ,
जान लेय सो जाननहारा..
खाद बीज के दाम चौगुने,
फसल पै पड़ता सूखा पाला.
कूड़ेदान से अन्न बीनते ,
स्वर्णिम देश के बाल-गोपाला..
श्रीराम तिवारी
हकीकत बयान करती कविता है.इसी प्रकार की घटना पर मेरे ब्लाग में 'इन्सान केन्ने जा रहल बा' भोजपुरी में है.
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