शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

संयुक विपक्ष के हमलों ने कांग्रेस में ओर ज़्यादा निखार ला दिया है ......

विगत जून २०११ के बाद कांग्रेस  नीत   यु पी ऐ द्वितीय सरकार ने अपने  एक वर्ष का कार्यकाल  पूरा होने पर जैसे ही  अद्द्य्तन मीडिया के मार्फ़त   अपने  तथाकथित विकास मूलक गुणगान  प्रकाशित कराये, वैसें ही  विपक्ष के दोनों  धडों-भाजपा के नेत्रत्व में एन डी ऐ और माकपा के नेतृत्व में वाममोर्चा   ने  भी सत्ता शिखर  पर एक साथ हल्ला बोल दिया था . विगत दिनों माननीय प्रधानमंत्री श्री मनमोहनसिंह जी ने भारत के टॉपमोस्ट पत्रकारों -सम्पादकों के समक्ष जो कुछ बयान किया वह इस तथ्य की ओर इंगित करता है कि उनके मन में   जो कुछ भी था सब पूरी पारदर्शिता से देश कि जनता के साथ  उन्होंने शेयर किया. टू-जी ,एस बैंड,कामनवेल्थ ,आदर्श सोसायटी ,महंगाई ,जे पी सी और तमाम मौजूदा दौर कि चुनौतियों को अलग-अलग परिभाषित करते हुए जब उन्होंने ये कहा कि गठबंधन सरकार चलाने कि उनकी मजबूरियों के कारण प्रासंगिक आरोपों कि नौबत आयी है, तो यह जाहिर होना स्वभाविक था कि वे टकराव के मूड में नहीं हैं.
       जी हाँ! अब किसी को शक नहीं होना चाहिए कि कांग्रेस के अन्दर जो भी चल रहा है वो विपक्ष और खासतौर से भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं है,  वामपंथ को भी निराशा ही हाथ आने वाली है. कांग्रेस ने जो कार्य योजना बनाई है बहरहाल विपक्ष उसे जब तक समझ पाए तब तक हो सकता है कि कांग्रेस उस चंगुल से आजाद हो जाये जिसमें उसे संयुक्त विपक्ष ने ले रखा है. यह एक करिश्मा ही होगा.
                  बेशक कांग्रेस ने इस देश पर सबसे ज्यादा समय तक शासन  किया है, अतीत में भी वह अनेकों बार इसी तरह के इल्जामों में फंसती रही है और फिर जनादेश लेकर सत्ता में आ जाती है .इस बार उसका बच निकलना एतिहासिक चमत्कार ही कहा जा सकता है और ये चमत्कार होने जा रहा है.  न केवल भारत की प्रबुद्ध जनता बल्कि    भारत के  अंदरूनी मामलों में दिलचस्पी रखने वाले भी हतप्रभ हैं की अभी कुछ दिनों पहले  तक 
एक व्यक्ति केबिनेट में हुआ करता था ,आज तिहाड़ जेल में बंद है ,वह आलाइन्स पार्टी द्रमुक का खासमखास  हुआ करता था  . अब द्रुमुक ने भी सत्ता की केंचुल छोड़ने से इनकार कर दिया है गठबंधन सरकार चलाने में वैसे भी यदि करूणानिधि ना-नुकर करते हैं तो कांग्रेस की चौखट पर जयललिता अम्मा सर पर अमृत कलश लिए खड़ी हैं, बस  यही कांग्रेस के इंतजाम-कारों की करामात है. लगता है कि कांग्रेस ने अपने दुर्दिनो को दूर से  ही देख लिया था . यु पी ऐ द्वितीय के विगत ६ महीने सियासी जमीन पर बेहद लज्जास्पद और घिघ्याऊ रहे हैं .लेकिन यह एक विस्मयकारी चमत्कार ही है कि सरकार चल रही है ,न केवल चल रही है बल्कि अब तो उसको उधार कि बैसाखी पर दौड़ने में मजा आ रहा है .कांग्रेस नेत्रत्व भले ही देश को आसन्न संकटों से निजात दिलाने में निरंतर असफल रहा हो, किन्तु खुद को सत्ता में विराजमान रखने कि कला में बाकई उसे महारत हासिल है .कई दफे कांग्रेस के अंदरूनी झगड़ों ने भी उसे रसातल में पहुँचाया किन्तु उसने तो मानो   सत्ता-सुख का अमरत्व   पी रखा है .उसके रणनीतिकार गाल नहीं बजाते ,वे परदे के पीछे व्यूह-रचना में सिद्धहस्त होते हुए भी कई बार विपक्ष के सामने बचाव कि मुद्रा धारण कर दुनिया को  उल्लू बनाते हैं .समस्त गैर कांग्रेसी विपक्ष खीसें  निपोरता हुआ जनता के बीच ऐसे शो करता है मानो कह रहा हो देखो हमने कांग्रेस और उसके नेतृत्व  को कैसा घेरा ? 'कांग्रेस आपदा प्रबंधन' कि कार्य कुशलता और कामयाबी का अंदाजा इसी घटना से लगाया जा सकता है कि ए राजा  का स्तीफा बगैर किसी राजनैतिक  संकट के मुमकिन हो गया. कांग्रेस कि जगह यदि भाजपा सत्ता में होती तो और इन्ही राजा को ठीक इसी तरह निकाल बाहर किया गया होता और कांग्रेस होती विपक्ष में तो वह संसद से लेकर गली कूंचों  तक दुष्प्रचार करती कि सवर्णवादी भाजपा ने दलित वर्ग के नेता को मंत्रीमंडल से बाहर कर दिया. भाजपा और वामपंथ कितने ही बड़े -बड़े विद्वानों की आश्रय-स्थली  हो किन्तु उनके सभी दाव असफल हो रहे हैं .कुछ महीनो पहले जब राज ठाकरे ने क़ानून तोडा तो जन -प्रतिक्रिया को ठंडा करने के लिए कांग्रेस ने राज ठाकरे को गिरफ्तार किया , एक दो रात उन्हें जेल में बितानी  पडीं .इधर टु- जी, थ्री -जी ,एस बेन्ड स्पेक्ट्रम इत्यादि के फेर में राजा को सलाखों के पीछे भेजने ,सी वी आई के सामने घंटों खड़े रहने की कवायद दिखाई जाती है .राज और राजा हमारी लोकशाही के स्थाई प्रतीक हैं ,य़े सलाखों के पीछे होने का भ्रम रचते हैं ,इस सब के  पीछे वही है जिसे सत्तानुभूति कहते हैं .य़े अनुभूति  कांग्रेस के अलावा  अन्यत्र नदारद  है , और इसीलिये वे बडबोले विपक्षी नेतागण आजीवन विपक्ष में बैठने के लिए अभिशप्त हैं .  
                                     विगत शीतकालीन सत्र से ही जिस  भृष्टाचार की पोल खोली जाती रही है वो दशकों पुराना नहीं सदियों पुराना है. विपक्ष ने भले ही उसे नए कलेवर में ,नयी चाशनी में ,नए वर्क में अधुनातन सरोकारों से जोड़कर  वर्तमान गतिशील  मीडिया के माध्यम  से  देश की आम जनता के समक्ष इस ढंग से परोसा कि मानो कांग्रेस तो रंचमात्र भी सत्ता में रहने लायक नहीं रही .इतने सारे आरोप और बिलकुल सही आरोप किन्तु कांग्रेस तो एक इंच भी नीचे नहीं आ रही ,फिर  कौनसे जीवनदायी आरोग्यवर्धक तत्व हैं जो कांग्रेस का विष चूसकर उसे चंगा कर देते हैं ?
             पिछले महीने तो अन्दर बाहर से हमले हो रहे थे तब भी इस पार्टी ने आपा नहीं खोया .कोई दूसरा दल होता तो इतने सारे विवादों कि सुनामी में स्वाहा हो जाता .कांग्रेस कि इस सादगी का कोई सानी नहीं कि माखन चुराने के बाद हांडी ज्यों कि त्यों रखना नहीं भूलती .जितनी कुशलता और नफासत से कांग्रेस ने न केवल अपने खेत को सुरक्षित रखा अपितु पडोसी के खेत में अपने ढोर-डंगर चरा दिए ;उसका पासंग भी वर्तमान विपक्ष के पास नहीं है .
           कांग्रेस के दिग्गज अपनी इस प्रतिभा से देश के ३३ करोड़ नंगे भूखों  का उद्धार करते तो आज दुनिया के सामने भारत कि इतनी किरकिरी न होती कि अमेरिका में कमाने खाने -पढने -लिखने गए भारतवंशी रेडिओ कलर की वेडियों में न जकड़े होते .कांग्रेस ने विपक्ष के आरोपों से सुधरने की बजाय उसे घेरने की रणनीति बनाई है. 'आक्रमण बेहतर होता है बनिस्बत  बचाव के',
कांग्रेस रणनीतिकार कितने चतुर हैं कि सुब्रमण्यम स्वामी 'राजा' को तो आरोपी बनाते हैं किन्तु किसी कांग्रेसी को नामजद करने से कतराते हैं ,आडवानीजी सोनिया गाँधी को ख़त लिखकर खेद जताते हैं ,संसद में पी सी चाको जब इस ख़त को पढ़ते हैं तो सोनिया जी जाहिर करती हैं कि वे आडवानीजी कि इज्जत से  खिलवाड़ पसंद नहीं करतीं. जब प्रणव मुखर्जी सुषमा स्वराज पर अभद्र टिप्पणी करते हैं तो सोनिया जी प्रणव दादा से माफ़ी मांगने को कहती हैं और सोनिया जी का कद संसद के गुम्बद को फाड़कर न केवल भारत में अपितु सारे जहां में देदीप्यमान होने लगा है .विपक्ष केवल जे पी सी का झुनझुना लेकर शांत है ...मैया में तो चाँद खिलौना लैहों ....अम्मा ने दे दिया खिलौना अब बजाते रहो. दिग्विजय के बाणों से आह़त तमाम भगवा ब्रिगेड मय बाबा रामदेव चारों खाने चित्त हैं ,जल्दी ही  इन बाबाओं और आरोप लगाने वालों को मुसीबत  में फंसाकर कांग्रेस सत्ता के कंगूरे पर अट्ठाहस  करती नजर आयेगी क्योंकि विपक्षी नेतृत्व  जिस सदाचार के ताबीज  को गले में लटकाने कि बात कर रहा है ,उसे  कांग्रेस ने छलावा  सिद्ध  करने में महारत हासिल कर रखी है .
        आम आदमी भले ही   कांग्रेस से खपा  हो , भरोसा नहीं रहा हो, किन्तु कांग्रेस को खुद पर इतना भरोसा है कि अरबों के घालमेल, कामनवेल्थ काण्ड ,आदर्श सोसायटी ,टु -जी , -विदेशों में काला धन  ,महंगाई एवं बेरोजगारी  ,किसान आत्मह्त्या इत्यादि कितने ही वार  देश पर कांग्रेस के हुए और हो रहे हों किन्तु उसे यकीन है,चूँकि  इस देश कि जनता कि स्मरण शक्ति कमजोर है ,विपक्ष कमजोर है और कांग्रेस के पास अतीत  कि धरोहर है सो सत्ता कि मलाई वो निष्कंटक खाती रहेगी .
                        श्रीराम तिवारी

1 टिप्पणी:

  1. आपका पूरा वर्णन तो नहीं पढ़ पाए क्योंकि अखबार ऊपर के भाग में था,(कृपया अखबार बिलकुल हटा दें ),वैसे आपने बिलकुल सही कहा जनता में बुरी तरह बदनाम होने के बाद भी कांग्रेस सत्ता सुख भोगने में सफल है.मेरे विचार में कांग्रेस अंग्रेजों वाली फूट डालो और राज करो नीति पर चल रही है. भाजपा तो है ही साम्राज्यवादियों की दें.परन्तु हम बामपंथी अपनी बात अपनी ही जनता को समझाने में विफल रहते है-कारन हम धर्म को पूर्ण रूप से ठुकरा देते हैं और जनता धर्मान्धता में जकड़ी है.इसी कारण मैं व्यक्तिगत रूप से अपने ब्ल्काग पर धर्म की सही व्याख्या करके एक छोटा सा प्रयास करता रहता हूँ.यदि आप विद्वान लोग इसे करें तो व्यापक प्रभाव पद सकता है.

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