शब्द गीत छंद में , प्रबंध लालित्य में ,
नियति नटी की , मधुर झंकार हो .
साधना समष्टि की , चेतना अभीष्ट की ,
विरही -मिलन संयोग श्रंगार हो ..
सुबह अलसाई सी ,शाम हरषाई सी .
घर आँगन में वसंत बहार हो ..
========,,,,,,,--------.......========
लेखनी की मार हो ,नौ रस धार हो
रति संग ऋतू की मदन मनुहार हो
कभी चलें व्यंग्य बाण, मनसिज नेन बाण ,
हस परिहास की प्रणय पुकार हो ..
वन उपवन फूले अमुआ पै बौर झूले ,
फूल रहे बगिया में जूही कचनार हो ..
श्रीराम तिवारी
नियति नटी की , मधुर झंकार हो .
साधना समष्टि की , चेतना अभीष्ट की ,
विरही -मिलन संयोग श्रंगार हो ..
सुबह अलसाई सी ,शाम हरषाई सी .
घर आँगन में वसंत बहार हो ..
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लेखनी की मार हो ,नौ रस धार हो
रति संग ऋतू की मदन मनुहार हो
कभी चलें व्यंग्य बाण, मनसिज नेन बाण ,
हस परिहास की प्रणय पुकार हो ..
वन उपवन फूले अमुआ पै बौर झूले ,
फूल रहे बगिया में जूही कचनार हो ..
श्रीराम तिवारी
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