भारत में जातीय आधार पर आरक्षण दिये जाने से हिंदू समाज में अलगाव और द्वैष बढ़ रहा है!इससे भारत की एकता अखंडता को खतरा बढ़ता जा रहा है ! भारत के पड़ोसी दुश्मन हर तरह से इस अलगाव का लाभ उठाकर यहां की हिंदू लड़कियों को टॉरगेट कर रहे हैं! लव जेहाद की बाढ़ सी आ गई है! हिंदू लड़कियों को प्रेम जाल में फंसा कर, उनसे शादी करने वाले लुच्चे लफंगे, कुछ दिन बाद जबरन धर्मपरिवर्तन कराते हैं, और जो लड़की नही मानती, उसका गला रेत देते हैं! हिंदू लड़कियों को छल कपट से या जोर जबरदस्ती से मुसलमान बनाया जाता रहा है! यह सिलसिला विगत 900 साल से लगातार चल रहा है ! यहां तक कि मोदी सरकार के शासन काल में भी हिंदू लड़कियों का धर्मान्तरण जारी है, फर्क इतना है कि अब गुनहगार को दंडित किये जाने का दौर शुरू हो गया है!
रविवार, 15 जनवरी 2023
हिंदू समाज की योग्यता
इसलिए आरक्षण व्यवस्था केवल आर्थिक आधार पर ही हो! यह आरक्षण सुविधा केवल गरीब एस सी /एसटी को ही मिले! ब्राह्मण क्षत्रिय बंधुओं से निवेदन है कि देश की खातिर और हिंदू समाज की खातिर,केवल योग्यता पर ही ध्यान दें! याद रहे कि वैशाखी का सहारा अपंग ही लिया करते हैं! यदि जिंदादिल कौम के युवा वैशाखी का सहारा लेंगे, तो भावी पीढ़ियां भी अपंग पैदा होंगी!
वतन परस्त ब्राह्मण क्षत्रिय बंधु अपने बच्चों को यह सिखाएं कि वे मानव मात्र की भलाई के लिए महर्षि शिवि,दधीचि रघु भगीरथ,राणा प्रताप से लेकर रानी झांसी, तात्या टोपे, चाफेकर बंधु, चंद्रशेखर आजाद, पंडित रामप्रसाद बिस्मिल ,लोकमान्य तिलक, रवीन्द्रनाथ बंकिमचंद,आचार्य श्रीराम शर्मा,स्वामी श्रद्धानंद,महाकवि सुब्रमन्यम् भारती,सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, माखनलाल चतुर्वेदी जैसे लाखों करोड़ों महापुर्षों ने युग युग में न केवल अपना बलिदान दिया है! बल्कि अधिकांश पाली प्राकृत*संस्कृत वांग्मय* भी उन्ही ने रचा है!
बिना आरक्षण के ही विदेश मंत्री एस जयशंकर, संचार मंत्री अश्वनी वैष्णव, रिषि सुनक,सुंदर पिचाई,जैसे दर्जनों सवर्ण युवा इस दौर की ग्लोबल हस्तियां हैं! वे भारत देश को महाशक्ति बनाने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ हैं,जबकि कुछ जाति विशेष के युवा केवल आरक्षण की बैशाखी को ही अपना परम सौभाग्य समझ रहे हैं!
वेशक सर्वाधिक बलिदान तो क्षत्रियों ने ही दिया है,किंतु इस बलिदान में राजसत्ता और कुलाभिमान प्रेरक रहा है! किंतु ब्राह्मणों का उत्सर्ग केवल सत्य सनातन धर्म और भारत राष्ट्र के निमित्त ही होता रहा है! इसीलिए भले ही *मनुस्म्रति* एक क्षत्रिय राजा मनु ने संपादित की हो किंतु उनने भी ब्राह्मण को ही समाज का सिरमौर माना है! चूंकि मनुष्यमात्र गलतियों का पिटारा है, अत: गलतियां भूलें ब्राह्मण समाज से भी होती रही है!
बहुश्रुत मिथ है कि भृगु ऋषि*ने भगवान श्री हरि को लात मारी थी! यह स्वाभाविक प्रश्न है कि लक्ष्मी के स्वामी श्री हरि विष्णु को लात मारने वाले ब्राह्मणों के पास लक्ष्मी क्यों आयेगी? अत : हे ब्राह्मणों लक्ष्मी के पीछे मत भागो, वह नही आयेगी! आरक्षण से भी नही आयेगी! अत: हे विप्रो ब्राहमणोचित कर्म से देश का, समाज का, विश्व का, कल्याण करो, यही तुम्हारा अभीष्ट है! यही तुम्हारी नियति है!
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