रविवार, 22 जनवरी 2023

विधर्मी और अधर्मी से युद्ध लड़ने का हथियार

 राजा पांडु का, वन में आखेट के दौरान मिले श्राप के चलते संसार से मोह भंग हो गया और उन्होंने वन में ही रहने का प्रण किया। उनकी दोनों पत्नियां कुंती और माद्री महल का सुख त्याग पांडु के साथ वन में ही रुकी। वन की कोख में ही पांचों पाण्डवों का जन्म हुआ। वन बेहद क्रूर होते हैं, यह आम धारणा है लेकिन वही वन शिशु पांडवों के लिए माँ का आँचल बना। राजा पांडु की वन में मृत्यु हो गई और माद्री उनके साथ सती हो गईं।

कुंती पांडवों के बेहतर पालन के लिए वन का आँचल छोड़ हस्तिनापुर ले आईं। कौरवों को राज्य में भागीदारी पांडव फूटी आँख भी न सुहाते थे, नतीजा पांडवों की सपरिवार हत्या की योजना बनी। वाणावृत के लाक्षागृह में सपरिवार ठहरे पांडवों को जलाकर मारने का षडयंत्र पूर्ण किया गया, लेकिन पांडव सुरँग के रास्ते बच निकले। लाक्षागृह में जलने से बचे पांडव एक बार वन में गए। लेकिन इस बार वन उनके लिए माँ का आँचल नहीं था।
इस बार पांडव किशोर शरणार्थी थे और वन उनकी शरणस्थली। यहां वो क्रूर राक्षसों और पशुओं के बीच रहे। कुछ से मित्रता की, कुछ से लड़े और कुछ का वध किया। शरणार्थी रूप में ही द्रोपदी से विवाह किया यहीं कृष्ण उनके जीवन मे आए। कृष्ण और ससुराल पक्ष से प्राप्त शक्ति से अभिभूत पांडव अपना अधिकार मांगने हस्तिनापुर जा पहुँचे। वन छोड़कर हस्तिनापुर लौटे पांडवों को एक बार फिर से वन ही मिला, खांडव वन।
खांडव वन को जलाकर उन्होंने इसे आधुनिकता का चोला पहनाया। मयासुर की सहायता से खांडव वन को इंद्रप्रस्थ का रूप दिया गया। इंद्रप्रस्थ का महल 'माया' से भरा था। जो नहीं था, वो होने का भ्रम उत्पन्न करता था, जो था उसके नहीं होने का भ्रम देता था।पानी से भरा गीला फर्श सूखा महसूस होता था, सूखा फर्श गीला महसूस होता था, वन को देखकर कंक्रीट की दीवार होने का भ्रम होता था और दीवार को देखकर पेड़ पौधे होने का भ्रम होता था।
हर तरह के ऐश्वर्य और माया से परिपूर्ण ऐसा अद्भुत भ्रम कि दुर्योधन भी उलझ कर रह गया। पांडवों के जीवन मे जब आधुनिकता और विमलासिता आई तो व्यसन भी आए। युधिष्ठिर चौसर के जुएं में अपना सर्वस्व हार गए और एक बार फिर उन्हें वन जाना पड़ा। लेकिन इस बार न तो पांडव शरणार्थी और न वन शरणस्थली। इस बार पांडव शिष्य थे और वन गुरु। इस बार वन ने उनकी कड़ी परीक्षा ली, कड़े सबक सिखाए, ज्ञान दिया, एक बेहतर राजा बनने से पहले बेहतर इंसान बनना सिखाया, विनम्रता सिखाई, क्रूरता सिखाई।
पांडव फिर हस्तिनापुर लौटे, कुरुक्षेत्र के युद्ध लड़े, जीते और धर्म की स्थापना की और वर्षों तो सु-शासन किया। अंत समय फिर वन की ओर प्रस्थान किए और उसी वन में देह त्याग स्वर्ग प्राप्त किया। वन वही है, क्रूर और हिंसक लेकिन उसकी भूमिकाएं पांडवों के जीवन काल मे अलग अलग रही। कभी ये वन उनके लिए माँ का आँचल बना तो कभी पिता की तरह आगे बढ़कर सहारा दिया। लेकिन जब वन को ही महल बना लिया तो यही वन उनकी बर्बादी की वजह भी बना।
यही वह धर्म स्थापना के लिए उनका गुरु भी बना और यही वन अंत मे उनके मोक्ष की राह भी। ठीक यही बात उस पर लागू होती है जिसे हम झाड़ फूंक या विश्वास-अंधविश्वास आदि कहते है। बचपन मे हमारे गाल पर, हथेलियों पर, पैर के तलवों पर माँ काजल का टीका लगाती है ताकि नज़र न लगे। गले मे गले मे छोटा सा चाकू पहनाया जाता है ताकि बुरी आत्मायें हमें हानि न पहुंचा सके।
कमर में काले धागे की करधनी पहनाई जाती है, जिसमें चांदी का सिक्का बंधा होता है। यह भी टोटका या झाड़ फूंक का ही एक रूप है जो आपके लिए अंधविश्वास हो सकता है लेकिन माँ के लिए यह विश्वास होता है। फायदे की चर्चा नहीं जाते, लेकिन तथ्य ये है कि इस विश्वास से बच्चे का, आपका या समाज का कुछ नुकसान तो नहीं ही होता है। यही विश्वास तब अंधविश्वास बनकर नुकसान पहुचाता है, जब आप इसी में अपनी दुनियां बसा लेते हैं, जैसे पांडवों ने इंद्रप्रस्थ बना लिया था।
जब आपके चारों तरफ सिर्फ भ्रम, माया अंधविश्वास, आस्था का महल होता है तो उसमें तर्क, विमर्श, विज्ञान, आलोचना, नास्तिकता, सत्य का कोई स्थान नहीं बचता और ये सिर्फ बर्बादी का कारण बनता है।लेकिन यही आस्था, यही विश्वास, यही अंधविश्वास, यही तंत्र मंत्र, यही जादू टोना जब गुरु बनकर विधर्मी और अधर्मी से युद्ध लड़ने का हथियार बन जाता है तो धर्म स्थापना हेतु इसे ग्रहण करना आवश्यक है।
जब विधर्मियों से लड़ना हो तो इसे हथियार बनाकर लड़ने में कोई बुराई नहीं है। चाकू लुटेरे के हाथ मे हो तो जान लेने की वजह बनता है, डॉक्टर के हाथ में हो तो जीवन बचाने की। चाकू तो वही है न? धीरेंद्र शास्त्री जो आज कर रहे हैं, वह वर्तमान में विधर्मियों से धर्म की रक्षा के लिए बेहद आवश्यक है। महाभारत हमें सिखाती है कि आम धारणा के विपरीत वन हमेशा क्रूर और हिंसक नहीं होते, आप जीवन मे उसका प्रयोग किस तरह करते है, यह महत्वपूर्ण है।
All reactions:
1

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें