रविवार, 15 जनवरी 2023

माघ मकर संक्रांति

 कटी फटी गुदड़ी घास फूस छप्पर ,

शिशिर पवन जिया देह लहरावे है।
सामंतवाद ,पूंजीवाद और समाजवाद
हर सिस्टम मेहनतकशों को सतावे है।
गर्म ऊनी वस्त्र वातानकूलित कोठियाँ ,
लक्जरी लाइफ सिर्फ बुर्जुआ ही पावे है।
हेमन्त का आगमन आतिथ्य ललचाये जब ,
माघ मकर संक्रांति तब दौड़ी चली आवै है।
श्रीराम तिवारी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें