कटी फटी गुदड़ी घास फूस छप्पर ,
शिशिर पवन जिया देह लहरावे है।
सामंतवाद ,पूंजीवाद और समाजवाद
गर्म ऊनी वस्त्र वातानकूलित कोठियाँ ,
लक्जरी लाइफ सिर्फ बुर्जुआ ही पावे है।
हेमन्त का आगमन आतिथ्य ललचाये जब ,
माघ मकर संक्रांति तब दौड़ी चली आवै है।
श्रीराम तिवारी
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