रविवार, 15 जनवरी 2023

सभ्य समाजों में विखंडन

 राजस्थान का मोहम्मद सादिक पिता सफी (मनियार) पठान* विगत 8-9 साल से स्कीम -78 इंदौर में वेदप्रकाश बनकर किराये के मकान में रह रहा था ! किरायेनामे के अनुबंध और कंपनी के आवेदन दस्तावेजों में उसने नकली आधार कार्ड, नकली मार्कसीट इत्यादि लगा रखे थे! वह जिस निजी कंपनी में नौकरी कर रहा था,वहां भी सभी कागजात नकली लगा रखे थे! इंदौर पुलिस ने अपराधी को उसकी 10 वीं की मार्कसीट और पेनकार्ड के आधार पर पकड़ा है!

पुलिस को उम्मीद है कि अपराधी के नकली कागजात बनाने वालों के रैकेट का शीघ्र भंडाफोड़ किया जाएगा!
देश और दुनिया में जितने भी ऐंसे कपट वेश धारी पकड़े जा रहे हैं! उनमें मुस्लिम युवक नंबर वन पर हैं! नाम और मजहब छिपाकर वे सवर्ण हिंदू लड़कियों पर कुदृष्टि रखते हैं, उन्हें अपने कपट जाल में फांसकर धर्मभ्रस्ट करते हैं!
इसी तरह कुछ जाति विशेष के युवा सरकारी नौकरी तो दलित /पिछड़ा आधार पर हासिल करते हैं , किंतु समाज के बीच अपनी मूल जाति और पहचान छिपाकर नकली सवर्ण बनकर,शर्मा वर्मा कुछ भी नकली सरनेम बताकर, उच्च जाति की लड़कियों को फांसकर, छद्म शादी कर लेते हैं! बाद में छोड़ भी देते हैं!
उपरोक्त सामाजिक विखंडन और छल छद्म से निपटने के लिये प्राचीनकाल से सभ्य समाजों में,वंश,कुल, गोत्र, आस्पद, शिखा, शाखा, सूत्र,मंत्र, कुलदेवता, मामा गई गोत्र इत्यादि का विधान रखा गया था ! इसके अलावा कुछ कुलीन जातियों में जाति गोत्र खाप आदि का विधान है! इस जातीय सुरक्षा कबच के कारण ही औरंगजेब जैसा हरामी भी हिंदुओं का पूर्णतः खात्मा नही कर पाया!इस लव जिहाद और आतंकवाद के दौर में हिंदू समाज के वे परिवार ज्यादा खतरे में हैं, जो आधुनिकता के चक्कर में अपनी लड़कियों को बेपर्दा होने की खुली छूट दे रहे हैं! इसके अलावा वे हिंदू भी किंचित पथभ्रष्ट होने के करीब हैं, जो अपने जातीय कुलाभिमान की जगह पतन के गर्त में गिरने को आतुर हैं!

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