आज अन्तोनियो ग्राम्शी का जन्मदिन है।मार्क्स-लेनिन के बाद जिस मार्क्सवादी ने सबसे ज्यादा सारी दुनिया के मार्क्सवादियों को प्रभावित किया वे हैं ग्राम्शी।उनसे सीखने लिए बहुत कुछ है।ग्राम्शी लिखा है सभी मनुष्य दार्शनिक हैं।
मुझे ग्राम्शी की यह बात सबसे ज्यादा पसंद है-
युद्ध के मैदान में शत्रु के कमजोर ठिकाने पर और विचारधारात्मक संघर्ष में शत्रु के मजबूत किले पर हमला करना चाहिए।
अन्तोनियो ग्राम्शी के चिंतन का सार यह है - हर क्रांति के पहले आलोचना,सांस्कृतिक प्रचार और कठोर परिश्रम से विचारों के प्रसार से लोगों की स्वार्थी मनोवृत्ति को बदलना चाहिए जिसकी वजह से वे अपनी आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं का हल व्यक्तिगत स्तर पर निकालना चाहते हैं।
ग्राम्शी की शिक्षा- 1-
दुनिया को बदलने की प्रक्रिया में ही मनुष्य उसे सही ढ़ंग से समझ सकते हैं।शिक्षा के द्वारा नेतृत्व संभव नहीं है,उसके लिए संगठन आवश्यक है।
ग्राम्शी की शिक्षा- 2-
व्यापक अर्थ में बुद्धिजीवी वे व्यक्ति हैं जो वर्गीय शक्तियों के संघर्ष में मध्यस्थता के अनिवार्य कार्य को संपन्न करते हैं।
बौद्धिक कर्म के लोकतांत्रिक चरित्र पर ग्राम्शी ने जोर दिया।
ग्राम्शी की शिक्षा- 3-
राजनीति,दार्शनिक दृष्टि से एक केन्द्रीय मानवीय गतिविधि है।वह एक ऐसा साधन है जिसके द्वारा एकाकी चेतना सामाजिक और प्राकृतिक जगत के सभी स्वरूपों से संपर्क स्थापित करती है।
ग्राम्शी की शिक्षा- 4-
किसी भी लेखक के अपने मौलिक दर्शन और उसकी वैयक्तिक दार्शनिक संस्कृति के बीच एक फासला मौजूद रहता है।वैयक्तिक दार्शनिक संस्कृति का अर्थ होता है जो कुछ उसने पढ़ा और आत्मसात किया , उसे वह जीवन के विभिन्न कालों में अस्वीकार कर सकता है।
ग्राम्शी की शिक्षा-5-
लोकधर्म का धर्मशास्त्रों से कोई लेना-देना नहीं है।
ग्राम्शी की शिक्षा-6-
वर्चस्व की धारणा को हर स्तर पर चुनौती दो।
ग्राम्शी की शिक्षा-7-
वाद-विवाद -संवाद और शिक्षा को कॉमनसेंस के तर्कों से दूर रखो।
ग्राम्शी की शिक्षा-8-
हर किस्म के संकीर्णतावाद से लड़ो।
साभार :-प्रो.Jagadishwar Chaturvedi
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