गुरुवार, 22 नवंबर 2018

मेरा देश ,,मेरा देश ,,मेरा देश ,,,आगे बढ़ रहा है!

कोई सिसक रहा है,कोई रो रहा है,कोई इलाज के अभाव में बेमौत मर रहा है! मेरे देश के कल कारखाने और सार्वजनिक उपक्रम उजड़ रहे हैं!क्या बाकई मेंरा देश आगे बढ़ रहा है?
मेरा देश ,,मेरा देश ,,मेरा देश ,,,आगे बढ़ रहा है ,,,,,गरीब की रसोई से धुंआँ हट रहा है ! भारत संचार निगम लिमिटेड के किसी अधिकारी को जब मोबाइल पर रिंग करो तो अक्सर यह देशभक्तिपूर्ण टोन सुनाई देती है।
देश के वर्तमान हालात को देखकर उन्हें अब यह टोन रिकार्ड कर लेना चाहिए :...!
सरकारी स्कूल में माट साहब चुनावी ड्युटी पर हैं,
प्रायिवेट स्कूलों के बच्चे बसों की टक्कर में मर रहे हैं!
पटरियां उखड़ रहीं हैं,डिब्बे इंजिन पलट रहे हैं।
रेल दुर्घटनाओं में लोग बेमौत बेतहाशा मर रहे हैं।।
पहले नोटबंदी के कारण देश में मची रही किल्लत ,
अब आबाल-बृद्ध नर-नारी पेट्रोल डीजल को रोरहे हैं।
बैंक चोट्टे अपना काला पीला रुपया लेकर भाग गये,
माल्या,चौकसी, मोदी नीरव के वारे न्यारे हो रहे हैं!
अंबानी अडानी प्रिय हैं जिन्हें चुनावी चंदे के कारण,
वे पिछले दरवाजे से अपना कालाधन सफेद कर रहे हैं।
डालर और विश्व की करेंसी ऊपर चढ़ रही है,
किंतु भारतीय रूपये के़ भाव सतत लुड़क रहे हैं!
सीमाओं पर मानों जवानों का लहू सस्ता हो गया,
लेकिन सत्ताधारी नेताओं के युद्धक तेवर चढ़ रहे हैं।
कौन कहता है गरीब की रसोई से धुँआँ घट रहा है?
हकीकत में तो गरीब की रसोई में चूहे ही मचल रहे हैं।
यदि बाकई मेंरा देश आगे बढ़ रहा है तो क्यों ,
अंतर्राष्टीय सूचकांक में हम नीचे क्यों गिर रहे हैं।
नोटबंदीजीएसटी जुमलबाजीे चोंचले पाखंड है सब ,
भ्रस्टाचार मेंहगाई बढ़ी है नेता सिर्फ चुनाव लड़ रहे हैं।
श्रीराम तिवारी

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