सोमवार, 5 नवंबर 2018

गागरमें सागर है हिन्दी।

संस्कृत की लाड़ली बेटी है ये भाषा हिन्दी।
बहनों को भी साथ लेकर चलती है ये हिन्दी।
सुंदर है, मनोरम है, मीठी है, सरल है,सुवासित
ओजस्विनी व्याकरण संस्कारित है ये हिन्दी।
पाथेय है, प्रवास में, परिचय का सूत्र है सरल,
जन जन को  जोड़ने की सांकल है ये हिन्दी।
पढ़ने व पढ़ाने में सहज है,सुगम है यह भारती,
भक्ति साहित्य का असीम महा सागर है हिन्दी।
ये तुलसी,कबीर,मीरा के उदगारों की भाषा है,
पद्माकर के छंदों सी गागर में सागर है हिन्दी।
वागेश्वरी का वरदहस्त रहा सूर केशव पर,
रैदास बिहारी भूषणकी काव्य भाषा है हिंदी।
उर्दू अंग्रेजीसे कभी कोई बैर नहीं रहा इसका,
अब तो देशी विदेशी सभी को लुभाती हिन्दी!
यूं तो सैकड़ों भाषाएं हजारों बोलियां हैं जहाँ में,
किंतु भारतीय अस्मिता की पहचान है हिन्दी।

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