सोमवार, 21 सितंबर 2015

कहीं महाभारत के शल्य की भूमिका में अब मोहन भागवत जी तो नहीं आ गए ?



  लालू यादव  की महाभृष्ट  छवि , नीतीश की प्रशाशनिक असफलताएँ और उन का बिहारी डीएनए रोदन एवं  उनके ' घोर जातिवादी महागठंबधन  को मुलायम द्वारा लतियाये जाने के बाद बिहार में  एनडीए की जीत के आसार  बनने लगे थे ।  प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी  की आम सभाओं में  भी  काफी  भीड़  जुटती  रही। इसीलिये  भाजपा  नीत एनडीए गठबंधन  वाले आश्वस्त होने लगे  कि  बिहार में अबकी बार -मोदी सरकार जरूर बनेगी। लेकिन अब बिहार की आवाम बुरी तरह 'कन्फ़्यूजिया' रही  है। कुछ नहीं कहा जा सकता की ऊंट किस करवट बैठेगा ? ओवेसी,मुलायम और वामपंथ वाले भले ही चुनाव में सफंलता प्राप्त न कर सकें किन्तु ये सभी  'लालू-नीतीश-कांग्रेस गठबंधन 'के ही वोट काटेंगे।  जबकि भाजपा का वोट बैंक  न केवल सुरक्षित है बल्कि  एनडीए के बिहारी समर्थकों को मोदी जी के 'विकासवादी' नारे  भी लुभा रहे हैं । अतः बिहार में एनडीए की जीत के चान्सेस बनने लगे थे। किन्तु अब संघ प्रमुख  के बोल  बचन से एनडीए का भविष्य बिहार में अनिश्चित हो चला है।

 प्रधान मंत्री श्री  मोदी जी , भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ,रविशंकर प्रसाद ,सुशील मोदी ,शाहनवाज  हुसेन ,रूढ़ी , पासवान ,माझी और  कुशवाहा जैसे नेताओं को आइन्दा बिहार विधान सभा में चुनाव में यदि  हार का मुँह  देखना पड़े तो , यदि एनडीए की पराजय  होती है तो ,उसके दो प्रमुख कारण  हो सकते हैं  ! एक तो पासवान  , माझी  और कुशवाह  का घोर जातीयतावाद और परिवारिक कुकरहाव ।दूसरा कारण होगा श्री मोहन  भागवत का  पाञ्चजन्य और आर्गेनाइजर में आरक्षण सम्बन्धी वयान।  हो सकता है कि श्री मोहन भागवत  जी ने  सही  बात कही हो !किन्तु सही तो  महाभारत युद्द के दरम्यान कर्ण  के सारथि शल्य ने भी कहा था ! जब कर्ण  के बाणों से अर्जुन और कृष्ण का रथ छत -विक्षत हो रहा था और  कर्ण  जीत की ओर  बढ़ रहा था ,तब  शल्य ने ही  कर्ण  को हतोत्साहित करना शुरू कर दिया था । शल्य  का इरादा क्या था यह कर्ण  नहीं जनता था। शल्य   जब  हारते हुए  पाण्डु पुत्र  अर्जुन की झूँठी  तारीफ कर रहा था तब उसका इरादा  क्या था?  कि 'पांडव' ही जीते। और  कर्ण  हारे या मार दिया  जाए ।  कहीं शल्य की भूमिका में अब  मोहन भागवत जी तो नहीं आ गए ?  एनडीए और भाजपा के सारथि श्री मोहनराव  भागवत  जी भी  शायद यही कोशिश  कर रहे हैं कि  बिहार में 'नरेंद्र मोदी ' रुपी कर्ण  हार जाए। शायद इसीलिये  भागवत जी ने  महाभारत के शल्य की तरह गलत वक्त पर  आरक्षण सम्बन्धी सही बात कह  दी है । इसीलिये बदनाम चारा  घोटाले बाज -जातीयवादी  लालू प्रसाद यादव की बाँछें  खिल गयीं हैं।  और उसकी जुबान लम्बी हो चली है।  बेबस नीतीश  जैसे निहत्ते वीरों और  डूबते सेनापतियों को तिनके का सहारा मिल गया है। दरअसल  आरक्षण की बहस में भाजपा को उलझाकर मोहनराव  भागवत जी ऐसे पाहुने बन गए हैं. जो साँप मारने चले थे किन्तु  साँप  तो नहीं मरा लाठी जरूर टूटने वाली है।

                                                                                                                                  श्रीराम तिवारी

                                                            
                               

                       

                       
                         

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