"हमें उस धर्म की आवश्यकता है जो मनुष्य के मन में भय नहीं प्रेम-आस्था उत्पन्न करता हो ! हमें ऐंसा धर्म-मजहब चाहिए जो नीरस यांत्रिकता को नहीं बल्कि नैसर्गिक रसात्मकता को बढ़ावा देता हो ! हमें ऐंसा धर्म - मजहब नहीं चाहिए जो मानव का यांत्रकीकरण कर देता हो ! हमें ऐंसा धर्म-मजहब नहीं चाहिए जो धार्मिक कटटरता के रूप में अपने अनुयाइयों को एक जैसे आचरण का दुराग्रही हो !
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन [प्राच्य धर्म और पाश्चात्य दर्शन ,पृष्ठ-६०]
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