वैसे तो महाराष्ट्र के नवनिर्वाचित मुख्य मंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस को विधान सभा में बहुमत सावित करने के लिए कोई दिक्कत नहीं आएगी। क्योंकि बची-खुची कांग्रेस ने भी इशारों-इशारों में कह दिया है कि 'नो प्रॉब्लम '. राकांपा तो हथेली पर जलता हुआ दीपक लेकर शुरूं से ही सत्ता के द्वार पर समर्थन के इंतज़ार में खड़ी है। अब बची शिवसेना तो उससे समर्थन लेने का तात्पर्य है -थूँककर चांटना ! स्वामी दयानंद सरस्वती ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक -सत्यार्थ प्रकाश में कुछ ऐंसी ही स्थति के लिए लिखा है कि " ऐसे लोगों से समर्थन लेने के बजाय हाथी के पैरों कुचला जाना मंजूर है "फड़नवीस को यह दोहा भी याद रखना लेना चाहिए :-
कहु रहीम कैसे बने ,केर -बेर को संग।
बेबस डोलें बापरे ,जिनके फाटे अंग ।।
यदि इससे सबक नहीं सीखा तो कुछ महीनों बाद मुझे लिखना पडेगा कि :-
केला तबहुँ न चेतिया ,जब ढिग जामी बेर।
अब चेते का होत है ,कांटन्ह लीनी घेर ।।
श्रीराम तिवारी
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