सोमवार, 17 नवंबर 2014

आनन्दम् के दोहे :- श्रीराम तिवारी !




         जीवन के उत्तरार्ध यदि ,  हो जिजीविषा मंद  ।

          वरिष्ठ जनों के लिए है ,  आनन्दम् -आनंद।।  [१]


         गतिविधियाँ मनोरंजनी  , होतीं  यहाँ सम्पन्न।

        मिलती  है  नव ऊर्जा ,    मन  होता   प्रशन्न।।  [२]


        मानव  मूल्य सद्गुण सभी, आनंदम  के प्राण ।

         कहने को  हैं बृद्धजन  ,  दिखते  सभी  जवान।। [३]


          यदा-कदा  आते यहाँ ,डाक्टर  बड़े महान  ।

      खण्डेलवाल जी  के जतन ,करते  रोग निदान।।  [४]


      निर्धन बच्चों को यहाँ ,शिक्षा मिले  निशुल्क  ।

      सुरेन्द्र जैन  का ऋणी तो  ,सदा रहेगा मुल्क।।  [५]


        परिचर्चा अध्यात्म  की ,सार्थक  नित्य नवीन।

       ब्रह्म ज्ञान  देते हमें  ,   लालवानी   प्रवीन।।  [६]


      कविता-कथा -अनुभवों का , अविरल काव्य प्रवाह ।

     मिश्राजी और  रमा जी,    सूत्रधार    भइ      वाह   ।।  [७]


     सभी सदस्य  सक्रिय रहें, आनंदम  के  संग  ।

     नरेद्रसिंह जी  देखते ,सपने  नित   नव रंग   ।।  [८]


    वैसे तो सब ही यहाँ  , बड़े  -बड़े  -उस्ताद।

   काव्य शील  महिलाओं की ,यहाँ बड़ी तादाद। [९]



 ज्योत्स्ना जी  के हिये  ,योग ध्यान  का वास ।

 रेखासिंह  जी  निष्णांत हैं ,चित्र कला में खास।।  [१०]



पाठक  जी  बड़जात्या , दोनों  ही कैलाश ।

जिनके मन मंदिर सदा , आनंदम  का वास।।  [११]


  यदा -कदा  मिलता यहाँ ,ज्ञानामृत आनंद ।

   देते  जब गीता प्रवचन , स्वामी  प्रबुद्धानंद।।[१२]


  आनंदम  में हो रहे , खेल -मेल अरु योग ।

 श्री भाटिया जी करें , दिल से नित  सहयोग ।।  [१३]


  जन्म दिन  की  इस दौर  में ,  खूब  मची  है होड़ ।

  किन्तु आनन्दम का कहीं  ,नहीं मिलेगा तोड़ ।।[१४]


     भजनों की  बहती यहाँ  , अविरल  धार अखंड ।

    मांडगे जी  जैसा  मिला  , संगीतज्ञ  प्रचंड ।।  [१५]


    उचित प्रशिक्षण मदद भी   , जो बहिनों हैं  दीन।

     जिनके नहीं आजीविका , संसाधन से  हीन।।  [१६]


     स्वावलम्बन के लिए , नव कुटीर उद्योग।

     माँ शारदा  मठ   करे  ,  आनन्दम्  सहयोग।। १७]



    मैंने  थोड़ा  ही  लिखा ,   शेष बहुत कुछ और।

   श्रीराम   का  सेतु है ,    आनन्दम्   इंदौर।। 


                             :- श्रीराम तिवारी



       

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