जीवन के उत्तरार्ध यदि , हो जिजीविषा मंद ।
वरिष्ठ जनों के लिए है , आनन्दम् -आनंद।। [१]
गतिविधियाँ मनोरंजनी , होतीं यहाँ सम्पन्न।
मिलती है नव ऊर्जा , मन होता प्रशन्न।। [२]
मानव मूल्य सद्गुण सभी, आनंदम के प्राण ।
कहने को हैं बृद्धजन , दिखते सभी जवान।। [३]
यदा-कदा आते यहाँ ,डाक्टर बड़े महान ।
खण्डेलवाल जी के जतन ,करते रोग निदान।। [४]
निर्धन बच्चों को यहाँ ,शिक्षा मिले निशुल्क ।
सुरेन्द्र जैन का ऋणी तो ,सदा रहेगा मुल्क।। [५]
परिचर्चा अध्यात्म की ,सार्थक नित्य नवीन।
ब्रह्म ज्ञान देते हमें , लालवानी प्रवीन।। [६]
कविता-कथा -अनुभवों का , अविरल काव्य प्रवाह ।
मिश्राजी और रमा जी, सूत्रधार भइ वाह ।। [७]
सभी सदस्य सक्रिय रहें, आनंदम के संग ।
नरेद्रसिंह जी देखते ,सपने नित नव रंग ।। [८]
वैसे तो सब ही यहाँ , बड़े -बड़े -उस्ताद।
काव्य शील महिलाओं की ,यहाँ बड़ी तादाद। [९]
ज्योत्स्ना जी के हिये ,योग ध्यान का वास ।
रेखासिंह जी निष्णांत हैं ,चित्र कला में खास।। [१०]
पाठक जी बड़जात्या , दोनों ही कैलाश ।
जिनके मन मंदिर सदा , आनंदम का वास।। [११]
यदा -कदा मिलता यहाँ ,ज्ञानामृत आनंद ।
देते जब गीता प्रवचन , स्वामी प्रबुद्धानंद।।[१२]
आनंदम में हो रहे , खेल -मेल अरु योग ।
श्री भाटिया जी करें , दिल से नित सहयोग ।। [१३]
जन्म दिन की इस दौर में , खूब मची है होड़ ।
किन्तु आनन्दम का कहीं ,नहीं मिलेगा तोड़ ।।[१४]
भजनों की बहती यहाँ , अविरल धार अखंड ।
मांडगे जी जैसा मिला , संगीतज्ञ प्रचंड ।। [१५]
उचित प्रशिक्षण मदद भी , जो बहिनों हैं दीन।
जिनके नहीं आजीविका , संसाधन से हीन।। [१६]
स्वावलम्बन के लिए , नव कुटीर उद्योग।
माँ शारदा मठ करे , आनन्दम् सहयोग।। १७]
मैंने थोड़ा ही लिखा , शेष बहुत कुछ और।
श्रीराम का सेतु है , आनन्दम् इंदौर।।
:- श्रीराम तिवारी
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