गुरुवार, 27 नवंबर 2014

अंधश्रद्धा महा पापनी , है जी का जंजाल !




       महिमा आसाराम की , रामपाल सतलोक ।

       धर्मान्धता की गटर में , नहा चुके वे- रोक  ।।


    त्रिचरापल्ली में  मगन  ,स्वामी प्रेमानंद  ।

    वैश्यावृत्ति में फंसा  ,  स्वामी  भीमानंद।।


   ऐक्ट्रेस  संग  जो  रहा ,ब्रह्मानंद में लीन।

   नित्यानंद   वो हरामी  ,  सबसे बड़ा कमींन ।।


  चंद्रा स्वामी  तांत्रिक , राजनीतिज्ञ  दलाल  ।

  स्वामी रामदेव   भी  ,  हो  रहा मालामाल  ।।


    सभी धरम -मजहबों  में , छिपे  गुरु  घंटाल।

    अंधश्रद्धा  महा पापनी   ,  है जी का जंजाल ।। 


                     श्रीराम तिवारी 







 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें