देश तरक्की का मचा ,यत्र-तत्र बहु शोर।
एफडीआई वकालत ,करते हैं मुँह जोर।। -[१]
असल -धन्य वे शूरमा , वतनपरस्त इंसान।
राष्ट्र निर्माण के हेत वे , होते गए कुर्बान ।। - [२]
कोटि जतन गांधी किये , जनता हुई न एक ।
लोकतंत्र में घुस गए ,दीमक दुष्ट अनेक।। -[३]
सुखी हुए वे लोग सब , किये गलत जिन काम।
मेहनतकश भूँखों मरा ,दवी -कुची आवाम।। -[४]
धरम के ठेकेदार कुछ , बाबा भये यमराज ।[[[५]
देते रहे सुपारियाँ , नेता धंधेबाज ।।
भोले -भाले लोग कुछ ,घनचक्कर के भूत ।
अनुयाई बन मिट गए , खुद हो गए यमदूत।।[६]
ठिये धर्म -मजहबों से ,नैतिकता भइ दूर ।
धर्मान्धता ने कर दिया ,धरती को बेनूर ।। [७]
श्रीराम तिवारी
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