मैं ऐंसे दर्जनों लोगों को जानता हूँ,जो सरकारी हाकिम हैं,जिनके यहाँ रिस्वत का पैसा खूब आता है,तीन तीन मकान हैं,क्रषि फार्म हैं और जो वेतन को हाथ भी नही लगाते ! इनमें कुछ तो बीपीएल धारक भी हैं!और कुछ आरक्षणधारी महानुभाव भी हैं!
दूसरी तरफ मैं ऐंसे हजारों लोगों को जानता हूँ,जो वास्तव में गरीब हैं,गरीबी के कारण पढ़ लिख नही पाये,जो गरीब बेरोजगार हैं, भूमिहीन खेतिहर मजदूर हैं,या गांव में थोड़ी सी ऊसर जमीन है और ऐंसे कई निर्धनों के पास बीपीएल आयुष्मान कार्ड भी नही है! इन्हें बनवाने के लिये उनके पास रिस्वत के पैसे नही है! उनके पास मकान,प्लॉट और सरकारी नौकरी भी नही है!इन वंचितों के मुद्दे उठाने के बजाय, सांसद, विधायक और मीडिया वाले और तमाम जातिवादी निठल्ले लोग उन' मुद्दों पर चर्चा करते रहते हैं,जो प्रतिपक्षी दल की फजीहत करने में कारगर हो!
अभी तो इस्लामिक आतंक का मुकाबला करने के बजाय टीवी चैनलों वाले आतंकवाद की गाथा गा रहे हैं,जो बरसाती गोबर की तरह हैं,न लीपने के न पाथने के! केवल हिंदू कौम के दुश्मन हैं और दीन -ए -इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं!
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