शनिवार, 29 जुलाई 2023

वामपंथ की विचारधारा असफल हो रही है

 पूंजीवादी अर्थशास्त्री रेकार्डो ने कहा था कि माल (Product) *श्रम काल* में पैदा होता है! तब मार्क्स ने उसमें यह जोड़ा कि मजदूर के काम की गणना श्रम काल में तो जरूर होती है किन्तु माल उसके श्रम काल से नहीं बल्कि उस श्रम काल में व्यय की गई मजदूर की *श्रम शक्ति अर्थात उसकी ऊर्जा*से ही पैदा होता है।

इस तरह मार्क्स को अपनी बात रखने का आधार रेकार्डो ने ही दिया। जबकि हीगेलियन सिद्धांत भाव जगत की द्वंदात्मकता को कार्ल मार्क्स ने भौतिक जगत में रूपांतरित कर सर्वहारा वर्ग के हितों का मार्ग प्रशस्त किया है!
ऐंसा प्रतीत होता है कि आजकल हर देश में नव्य पूंजीवाद समर्थक लॉबी ने मार्क्स के सिद्धांतों को नकार दिया है। यह सच नही है कि मार्क्सवाद अब काल कवलित हो चुका है। दरसल वैश्विक इस्लामिक आतंकवाद से डरकर विभिन्न गैर इस्लामिक सभ्यताओं ने और सम्रद्ध संस्कृतियों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रभुत्व के लिए होने होने वाले आम चुनाव में जातीय मजहबी Urdu करने का अचूक ब्रह्मास्त्र ढूंड निकाला है।
अतः अब रोटी कपड़ा मकान,शिक्षा नही मांगते लोग,बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता और अपनी पृथक सांस्कृतिक पहचान के लिये वोटों का टैक्टिकल ध्रुवीकरण करने लगे हैं। तात्पर्य यह है कि वाम पंथ और उसकी विचारधारा उन देशों में असफल हो रही है,जहाँ राष्ट्रीयता और संस्कृति को हिंसक बर्बर आतंकवाद और उनकी आक्रामकता से खतरा है।

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